Warning: Constant WP_MEMORY_LIMIT already defined in /www/wwwroot/sabguru/sabguru.com/18-22/wp-config.php on line 46
ganga dussehra special story update india - Sabguru News
होम Breaking गंगा दशहरा पर गंगा में डुबकी लगाने से पापों से मिलती है मुक्ति

गंगा दशहरा पर गंगा में डुबकी लगाने से पापों से मिलती है मुक्ति

0
गंगा दशहरा पर गंगा में डुबकी लगाने से पापों से मिलती है मुक्ति
ganga dussehra special story update india
ganga dussehra special story update india
ganga dussehra special story update india

लॉकडाउन के चलते अब देशवासियों ने समझ लिया है कि हमें अपने छोटे और बड़े त्योहारों को भी उसी अनुसार मनाना है । इस महामारी ने कई धार्मिक कार्यक्रमों को भी प्रभावित करके रख दिया है । यह सही है कि पिछले कुछ समय से कोरोना वायरस ने सभी धार्मिक कार्यक्रमों में लोगों को घरों तक सीमित कर दिया है । हम बात कर रहे हैं आज गंगा दशहरा की ।‌ आज गंगा दशहरा देशभर में धूमधाम के साथ मनाया जा रहा है । उत्तर भारत में इस त्योहार का बहुत ही महत्व है ।‌ पौराणिक मान्यताओं में गंगा को पतित पावनी और पाप नाशनी कहा गया है । ऐसा माना जाता है कि गंगा में स्नान करने से पापियों के पाप कटते हैं और पुण्य फल की प्राप्ति होती है । हर साल गंगा दशहरा बड़ी धूमधाम के साथ ज्येष्ठ मास की दशमी तिथि को मनाया जाता है, लेकिन इस बार कोरोना वायरस के चलते लॉकडाउन है ऐसे में गंगा दशहरा लोग अपने ही घर में पूजा पाठ कर मनाएंगे। धर्मिक मान्यताओं के अनुसार, गंगा दशहरा के दिन गंगा में पवित्र डुबकी लगाने से पाप कट जाते हैं । हरिद्वार, प्रयाग, उज्जैन, वाराणसी आदि में इस दिन लाखों श्रद्धालु गंगा में डुबकी लगाते हैं लेकिन इस बार इस महामारी ने श्रद्धालुओं को बहुत ही निराश कर दिया है ।‌

गंगा दशहरा के दिन दान-पुण्य करना बहुत ही शुभ माना जाता है

इस दिन गंगा स्नान करना काफी फलदायी माना जाता है। इसी के साथ दान पुण्य के कार्यों के लिए भी ये दिन महत्वपूर्ण माना गया है। हिंदू धर्म में गंगा नदी को सबसे पवित्र नदी माना गया है। कहा जाता है कि इसमें आस्था की डुबकी लगाकर व्यक्ति को सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है। इस दिन गंगा पूजन का विशेष महत्व होता है। स्कंद पुराण में दशहरा नाम का गंगा स्तोत्र दिया हुआ है। ऐसा कहा जाता है कि आज के दिन गंगा स्नान से कई यज्ञ करने के बराबर पुण्य प्राप्त होते हैं। इस दिन दान का भी विशेष महत्व है। इस दिन शर्बत, पानी, मटका, पंखा, खरबूजा, आम, चीनी आदि चीजें दान की जाती हैं। गंगा दशहरे के दिन श्रद्धालुजन जिस भी वस्तु का दान करें उनकी संख्या दस होनी चाहिए। जिस वस्तु से भी पूजन करें उनकी संख्या भी दस ही होनी चाहिए। ऐसा करने से शुभ फलों में और अधिक वृद्धि होती है।

गंगा मैया के साथ भगवान शिव, भगीरथ और हिमालय की भी की जाती है पूजा

इस दिन श्रद्धालु गंगा मैया, भगवान शिव, भागीरथ और हिमालय की पूजा करते हैं । गंगा दशहरा के दिन इस प्रकार कर सकते हैं पूजा-अर्चना । सुबह उठकर गंगा मैया का स्मरण करें। इसके बाद पानी में गंगा जल मिलाकर स्नान करें या गोमूत्र, गोदुग्ध, गोदधि, गोघृत, कुशोदक, भस्म, सुद्ध मृत्तिका, शहद से स्नान करें। इसके बाद शुद्ध श्वेत वस्त्र धारण कर मा गंगा का पूजन करें। इस दिन गंगाजल से शिवजी का अभिषेक करने से समस्त प्रकार के मनोरथ पूर्ण होते हैं। यह दिन संवत्सर का मुख माना गया है। इसलिए गंगा स्नान करके दूध, बताशा, जल, रोली, नारियल, धूप, दीप से पूजन करके दान देना चाहिए। इस दिन गंगा, शिव, ब्रह्मा, सूर्य, भागीरथी तथा हिमालय की प्रतिमा बनाकर पूजन करने से विशेष फल प्राप्त होता है। इस दिन गंगा आदि का स्नान, अन्न- वस्त्र आदि का दान, जप- तप, उपासना एवं उपवास किया जाता है। इससे दस प्रकार के पापों से छुटकारा मिलता है।

गंगा मैया इस दिन पृथ्वी पर अवतरित हुई थी

माना जाता है कि इसी दिन मां गंगा धरती पर अवतरित हुई थीं। स्कन्द पुराण में मां गंगा के अवतरण के समय दस महासंयोगों को वर्णन किया गया है। इसमें ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि बुधवार के साथ हस्त नक्षत्र, व्यतिपात योग, गर्ग करण, आनंद योग, कन्या राशि में चंद्रमा और वृषभ में सूर्य विद्मान थे। इस प्रकार उस दिन दस शुभ योग प्राप्त हो रहे थे। इसी कारण इसे गंगा दशहरा कहा जाता है। जो मनुष्य द्वारा जाने अनजाने में किए गए दस पापों का शमन करते हैं। इस बार सोमवार को गंगा दशहरा पड़ने से इसका महत्व और बढ़ जाता है।

शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार