माउंटआबू। राजस्थान के पर्वतीय पर्यटन क्षेत्र माउंटआबू की आस्थास्थली ऐतिहासिक नक्की झील पर पीपली पूनम मेले में आदिवासियों का सैलाब उमड़ पड़ा।
इस मौके शनिवार को नक्की झील पर भरे मेले में आदिवासियों ने झील में स्नान कर अपने दिवगंत परिजनों की आत्माओं की शान्ति को परंपरा एवं श्रद्धापूर्वक पितृ तर्पण की रस्म अदा की।
चमकीले रंगबिरंगे ठेठ आदिवासी परिधानों में सज संवर कर आई युवक-युवतियों की टोलियां चारों ओर के पहाड़ी रास्तों से पैदल चलकर सुबह से ही नक्की झील के परिक्रमा पथ पर एकत्रित हो गईं जहां पारंपरिक वाद्ययंत्रों ढोल-थाली की थाप पर नाचते-गाते खुशियां मनाईं। इस दौरान वालर नृत्य देसी-विदेशी पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बना रहा।
इस अवसर पर यहां के विभिन्न उद्यानों में आदिवासी लोगों की ओर से पंचायतें लगाकर वर्ष भर के सामाजिक विवादों का निस्तारण भी किया गया। आदिवासियों ने अपने ईष्टदेव की पूजा-अर्चना कर भोग लगाया एवं प्रसादी वितरित कर मनौती मांगी।
आभूषणों में सजे युवक-युवतियों ने सामाजिक परंपरानुसार सगाई एवं विवाह भी रचाए। मेले के दौरान आपसी सहमति पर परंपरानुसार कई युवक-युवतियां परिणय सूत्र में बंधे।
आधुनिकता की चकाचौंध में शामिल हुए आदिवासी अब सामाजिक कुरीतियों से ऊपर उठने लगे हैं और उनका शिक्षा के प्रति रूझान बढऩे लगा है। जिसके चलते युवकों एवं बच्चों के हाथों में महंगे मोबाइल फोन भी नजर आए। मोबाइल पर बिजली की तरह थिरकती अंगुलियां उनकी आधुनिकता का परिचय दे रहीं थीं।
मेले में भाग लेने को आए आदिवासियों की जीवनशैली में भी अब बदलाव नजर आने लगा है और खाने, पीने, पहनने से लेकर रोजमर्रा के जीवन में उपयोग आने वाली वस्तुओं का प्रचलन गत वर्षों की अपेक्षा इस बार अलग दिखाई दिया।
आदिवासियों ने नक्की झील स्थित नक्की लेक व्यापारिक संस्थान की ओर से लगाए गए सेवा स्टॉल में आचार-पूड़ी के खूब चटखारे लिए। प्याऊ से लेकर टेंकरों से सप्लाई हो रहे पेयजल को छोडक़र कई प्रतिष्ठानों पर आदिवासी बोतलबंद मिनरल पानी की बोलते खरीदते भी देखे गए।
इस दौरान बसों की कमी की वजह से मेलार्थियों एवं पर्यटकों को परेशानी का सामना भी करना पड़ा। बसों के इंतजार में बस अड्डे पर मेलार्थियों का जमावड़ा लगा रहा। मेले की व्यवस्था को सुचारू बनाए रखने के लिए प्रशासन एवं पुलिस ने कानून एवं सुरक्षा की पूरी व्यवस्था के इंतजाम किए।