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वैश्विक बाजारों में संभावनाए तलाशेगा गार्डन रीच शिपबिल्डर्स-हिंदी समाचार
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वैश्विक बाजारों में संभावनाए तलाशेगा गार्डन रीच शिपबिल्डर्स

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वैश्विक बाजारों में संभावनाए तलाशेगा गार्डन रीच शिपबिल्डर्स
Garden Reach Shipbuilders will explore possibilities in global markets
Garden Reach Shipbuilders will explore possibilities in global markets
Garden Reach Shipbuilders will explore possibilities in global markets

गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स (जीआरएसई) की नजरें शिपिंग क्षेत्र के वैश्विक बाजार पर टिकी हुई हैं। जीआरएसई का इरादा अपने उत्पादों के लिए वैश्विक बाजार को एक्सप्लोर करने का है, जिसमें जहाज निर्माण, मरम्मत और इंजन उत्पादन शामिल हैं।

वैश्विक क्षेत्र में अपने पंख फैलाने का प्रयास तभी शुरू हो चुका था जब उन्होंने 2014 में अपना पहला जहाज निर्यात किया था। कंपनी निर्यात क्षेत्र में विभिन्न सामरिक भौगोलिक स्थानों में सभी आकार के वेसेल की मार्केटिंग का इरादा रखती है। जीआरएसई को दक्षिण पूर्व एशिया, पश्चिम एशिया, अफ्रीकी देशों और लैटिन अमेरिका को छोटे और मध्यम आकार के युद्धपोत और गश्त जहाजों का निर्यात करने की उम्मीद है जोकि निर्यात व्यापार को विकसित करने के अवसर प्रदान करते है।

कंपनी वैश्विक क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा करने के लिए कम पूंजी लागत मंे बेहतर गुणवत्ता वाले जहाजों की आपूर्ति के लिए अच्छी तरह से तैयार है। इस रणनीति को प्राप्त करने के लिए, जीआरएसई के पास पहले से ही उत्पाद और डिजाइन सुविधाएं हैं जोकि दुनिया में सर्वश्रेष्ठ मानकों के बिल्कुल अनुरूप हैं और आधुनिक वार शिपबिल्डिंग की मांगों को पूरा करने के लिए नवीनतम तकनीकों से सुसज्जित हैं।

निर्यात रणनीति में निम्नलिखित प्रस्तावित बोली-प्रक्रिया प्रक्रिया पहल में भाग लेना शामिल हैः
ऽ गुयाना सरकार के लिए कार्गो यात्री नौका के लिए पूर्व-योग्यता प्रतिक्रिया प्रस्तुत की गई और 10 जनवरी, 2018 को गुयाना में पूर्व-बोली बैठक में भाग लिया गया;
ऽ संयुक्त अरब अमीरात के लिए लैंडिंग शिप टैंक (बड़ा);
ऽ नाइजीरिया के लिए ऑफशोर पेट्रोल वेसल (ओपीवी) और सर्वे वेसल्स;
ऽ फिलीपींस के लिए कॉर्वेट्स;
ऽ युद्धपोतों के डिजाइन और निर्माण के लिए बांग्लादेश शिपयार्ड के साथ समझौता ज्ञापन (एमओयू)।

जीआरएसई ने नए बाजारों में पहुंच बढ़ाने और मौजूदा बाजारों को मजबूत करने के लिए क्षमता बढ़ाने के लिए पुल डिजाइन की एक नई प्रणाली विकसित की। इससे उन्हें डीजल इंजन प्लांट (डीईपी) में अतिरिक्त उत्पादन सुविधाएं स्थापित करने और इंजन के लिए उत्पादन दक्षता के संबंध में सुविधाओं का आधुनिकीकरण करने में मदद मिलेगी।

एक रणनीति के रूप में निर्यात बाजार को देखने के अलावा, जीआरएसई के लिए घरेलू व्यापार भी मजबूत है। 28 फरवरी, 2018 तक, जीआरएसई का ऑर्डर बुक 20,803.36 करोड़ रुपये था जोकि भविष्य में इसे मजबूत राजस्व दृश्यता प्रदान करता है। ऑर्डर बुक में शिप बिलिं्डग सेगमेंट, इंजीनियरिंग सेगमेंट और इंजन सेगमेंट में क्रमशः 20,730.74 करोड़ रुपये, 63.38 करोड़ रुपये और 9.24 करोड़ रुपये का सकल आॅर्डर मूल्य शामिल हैं।

आॅर्डर बुक जीआरएसई को राजस्व पैदा करने वाली परियोजनाओं का गहरा पूल प्रदान करता है। ऑर्डर बुक से उत्पन्न राजस्व जीआरएसई को अधिक कुशल और तकनीकी रूप से परिष्कृत बनाने के लिए डिजाइन क्षमताओं और सुविधाओं में निवेश करने की अनुमति देगा जो उन्हें अपने वैश्विक उद्यमों के लिए तैयार रखने में मदद करेगा।

वर्तमान में, जीआरएसई के पास भारतीय नौसेना और भारतीय कोस्ट गार्ड को चैबीस (24) जहाज देने का अनुबंध हैं, जिनमें से दस (10) जहाजों को पहले से ही वितरित कर दिया गया है। वितरित किए गए उन जहाजों में से कई बड़े और उन्नत युद्धपोत हैं, जो जीआरएसई द्वारा निर्मित जहाज से महत्वपूर्ण मुनाफा प्रदान करते हैं। कंपनी द्वारा किए जाने वाले शिप बिलिं्डग अनुबंध, जहाज और सर्टिफिकेशन सोसायटी के सहमत विनिर्देशों के लिए निर्धारित होते हैं जिसके साथ जहाज को प्रमाणित किया जाना है।

ऐतिहासिक रूप से, जीआरएसई ने भारतीय नौसेना और भारतीय तट रक्षक को जहाज दिए हैं, कोई अन्य स्वदेशी जहाज निर्माता कंपनियां उन्हें नहीं दे पाई हैं। इनके नाम कई पहलें करने का श्रेय भी है। उदाहरण के लिए, जीआरएसई 2000 में, भारतीय नौसेना के लिए एक फ्लीट टैंकर बनाने और बाद में भारतीय कोस्ट गार्ड को एक होवर क्राफ्ट देने के लिए पहला और एकमात्र भारतीय शिपयार्ड बन गया। 2009 में, जीआरएसई पहला और एकमात्र भारतीय शिपयार्ड था जो बाद में भारतीय नौसेना को एक लैंडिंग जहाज पहुंचाता था।

2017 में, उन्होंने कंपनी के इतिहास में पहली बार भारतीय नौसेना के लिए युद्धपोतों का निर्माण और वितरण किया, जिनमें हथियारों और सेंसर परीक्षणों को पूरा किया गया, तब तक युद्धपोतों के बाद विभिन्न भारतीय नौसेना सुविधाओं में इसे पूरा किया गया। इसके अतिरिक्त, जीआरएसई ने 2017 में एक एंटी-सबमरीन वारफेयर स्टील्थ काॅरवेट आईएनएस किल्टन और पूर्ण रूप से कंपोजिट मैटेरिलयल से बने सुपरस्ट्रक्चर के साथ पहले भारतीय युद्धपोत का निर्माण कर इसे सौंपा।

उपरोक्त के अलावा, जीआरएसई के पास भारतीय नौसेना और भारतीय कोस्ट गार्ड के कई प्रोजेक्ट हैं, जो अभी चल रहे हैं। वित्त वर्ष 2017, 2016, 2015, 2014 और 2013 में, जीआरएसई ने कुल तेरह जहाजों का निर्माण किया, जिनमें से छह जहाज भारतीय नौसेना को डिलीवर किए गए; भारतीय कोस्ट गार्ड को छह जहाज वितरित किए गए; और एक जहाज मॉरीशस सरकार को दिया गया था।