अजमेर। महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय के योग्र विभाग में शनिवार को गीता जयंती उत्सव के मौके पर श्रीमदभगवद्गीता वाचन प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। प्रतियोगिता में करीब 44 बच्चों ने भाग लिया।
प्रतियोगिता में प्रथम स्थान अंकित रंगा, द्वितीय स्थान पर दीपा होतचंदानी तथा तृतीय स्थान सुरभि मित्तल रहे। कार्यक्रम में बतौर निर्णायक व अतिथि की भूमिका राजस्थान केंद्रीय विश्वविद्यालय से महबूब हुसैन तथा विवेकानंद केंद्र कन्याकुमारी के राजस्थान प्रांत के योग प्रशिक्षण प्रमुख डा. स्वतंत्र शर्मा ने निभाई।
इस मौके पर अतिथियों ने संबोधित करते हुए कहा कि गीता समन्वय के सिद्धांत को प्रस्तुत करती है। साधक किसी भी मार्ग का अनुसरण कर अपने लक्ष्य की प्राप्ति कर सकता है चाहे वह साधक कर्मयोगी हो, ज्ञान योगी हो या भक्ति योगी। व्यक्ति अपनी प्रकृति, सामर्थ व स्थिति से पूर्व जन्मों से प्राप्त संस्कारों के आधार पर इनमें से किसी एक का साधन के रूप में अपनाकर अपने जीवन को सार्थक कर सकता है। साधना की सार्थकता व्यक्तिनिष्ठ ना होकर लोक हितार्थ के लिए विश्वकल्याण के लिए की जाती है।
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि पर्यावरण अध्ययन विभाग के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर प्रवीण माथुर ने आशीर्वचन करते हुए बताया कि विषय की दक्षता आज के परिपेक्ष में बहुत आवश्यक है। गीता वह विषय है जो व्यक्ति के समस्त मनोविकारों को समाप्त कर नैतिक जीवन के मार्ग को प्रशस्त करती है। विभाग प्रभारी शिक्षिका जयंती ने धन्यवाद ज्ञापित किया। डॉक्टर लारा शर्मा ने मंच का संचालन किया।