सबगुरु न्यूज-सिरोही। महात्मा गांधी की मूर्ति के अनावरण के दौरान सिरोही विधायक संयम लोढ़ा ने आशंका जताई थी कि ‘सरकार रहने पर जनवरी तक सिरोही की सभी बावड़ियों के जीर्णोद्धार का पैसा जारी हो जाएगा।’ लेकिन, राज्य सरकार ने इसी महीने सिरोही की 5 बावड़ियों के जीर्णोद्धार के लिए भेजे गए उनके प्रस्ताव को मंजूरी देते हुए 25 प्रतिशत धनराशि की वित्तीय एवम तकनीकी स्वीकृति जारी कर दी है।
लेकिन, अब सवाल ये है कि इस जीर्णोध्दार कार्य में सरजावाव बावड़ी को उसका मूल स्वरूप लौटाया जा सकेगा जिसे नगर परिषद के पूर्व बोर्ड द्वारा बिगाड़ दिया गया था। सबगुरु न्यूज के द्वारा इस मामले को उठाने पर जनवरी 2018 में तत्कालीन जिला कलेक्टर सन्देश नायक ने जीर्णोद्धार के नाम पर बावड़ी के मूल स्वरूप को बिगाड़ने के उस काम को रुकवाया था।
-इस तरह तबाह की थी सरजावाव बावड़ी
पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने 2017 में शहरी जल स्वावलंबन अभियान चलाया था। इसके सिरोही नगर परिषद क्षेत्र में बावड़ियों के पुनरूद्धार का काम करवाना था। नगर परिषद के तत्कालीन सभापति ताराराम माली और कार्यवाहक आयुक्त व एक्सईएन दिलीप माथुर ने सिरोही शहर की हेरिटेज बावड़ियों के पुनरुद्धार के लिए जो प्रस्ताव बनाया वो इसे बर्बाद करने वाला था। इन हेरिटेज बावड़ियों की दीवारों को आराइश प्लास्टर किया जाना चाहिए था।
इसकी जगह तत्कालीन सभापति ताराराम माली, तत्कालीन उपसभापति धनपत सिंह, भाजपा जिलाध्यक्ष लुम्बाराम चौधरी और शहर मंडल अध्यक्ष सुरेश सगरवंशी ने इसकी दीवारों पर सीमेंट का प्लास्टर लगाकर अभियान की शुरुआत की। इस बावड़ी का हेरिटेज लुक तबाह कर दिया गया। जबकि इस बावड़ी समेत कनक बाव, रतन बाव, झालरा बाव और धारेश्वर बाव को पुरातत्व विभाग 2017 में 40 लाख रुपये के बजट के साथ आराइश प्लास्टर करके संरक्षण का काम किया गया था।
– सबसे ज्यादा बजट सरजावाव बाव का
अब राजस्थान पर्यटन विकास निगम लिमिटेड द्वारा रतन बाव, झालरा बाव, कनक बाव, गणेश बाव और सरजावाव बाव के जीर्णोद्धार के लिए बजट पारित किया है। इसमें 7 करोड़ 98 लाख के बजट में से 2 करोड़ 62 लाख रुपये अकेले सरजावाव के लिए रखे गए हैं।
जिस नगर पालिका ने इस बावड़ी को बर्बाद किया था उसी के लापरवाह तकनीशियनों के हाथ में फिर से इस हेरिटेज ढांचे को सौंप दिया गया है। इस बावड़ी के उद्धार तभी सार्थक होगा जब इसके आधे हिस्से में किया गया सीमेंटेड पलस्तर को निकाल कर इसे फिर से आराइश प्लास्टर से हेरिटेज लुक दिया जाएगा।
-क्या है आराइश प्लास्टर?
आराइश प्लास्टर का मूल तत्व चूना होता है। ढांचे के पत्थरों बीच के प्लास्टर को चूने, मेथी, गूगल, गोंद आदि के साथ मिट्टी के घुटे हुए मिश्रण से जोड़ा जाता है। सूखने पर बुझे हुए घुटे चूने और कुछ अन्य तत्वों के मिश्रण के लेपा जाता है। फिर इसे चिकना करने के लिए घिसा जाता है।
राज्य और सिरोही जिले के हेरिटेज भवनों के जीर्णोद्धार के लिए यही तकनीक अपनाई जाती है। अब हाल में जिन पांच बावड़ियों के जीर्णोद्धार के लिए राशि जारी हुई है उसके लिए क्या तकनीक और मटेरियल अपनाया जाएगा ये डीपीआर देखने पर स्पष्ट हो पायेगा। लेकिन, जितना बजट जारी हुआ है वो इन बावड़ियों को हेरिटेज तरीके से जीर्णोद्धार करवाने के लिए काफी है।
ये तय है कि नगर पालिका के कार्यकारी एजेंसी होते हुए इसमें पुरातात्विक भवनों के जीर्णोद्धार के लिए पारंगत लोगों की बजाय बेतरतीब औऱ गैर तकनीकी तरीक़े से सड़कें, नालियां, स्मारक बनाने वाले नेताओं के वरदहस्त ठेकेदारों के शामिल होने की संभावना को किसी तरह से नकारा नहीं जा सकता।