नई दिल्ली। राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आज़ाद ने जम्मू-कश्मीर से सम्बन्धित संविधान की धारा 370 तथा 35ए को हटाने एवं राज्य को दो भागों में विभक्त करने के फैसले को वहां की जनता के साथ ‘विशवास घात’ तथा देश के इतिहास में ‘काला धब्बा’ बताते हुए कहा कि भारतीय जनता पार्टी ने इस तरह एक राज्य को मुल्क के नक्शे से मिटा दिया है।
आज़ाद ने जम्मू कश्मीर पुनर्गठन विधेयक 2019 जम्मू-कश्मीर आरक्षण द्वितीय संशोधन विधेयक 2019 एवं धारा 370 हटाने संबंधी संकल्प पर एक साथ में भाग लेते हुए यह बात कही। इस से पहले विपक्ष के करीब 20 सदस्य सभापति के आसन के पास बैठकर इन विधेयकों के विरोध में धरना दे रहे थे लेकिन आजाद का भाषण शुरू हुआ तो वे वापस आकर सीट पर बैठ गए।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता आज़ाद ने कहा कि वह तो जम्मू कश्मीर आरक्षण विधेयक पर बोलने की तैयारी कर आये थे लेकिन गृह मंत्री ने सदन में धारा 370 हटाने सम्बन्धित संकल्प और जम्मू कश्मीर पुनर्गठन विधेयक पेश कर ऐसा विस्फोट किया है जिसकी आशंका कुछ दिनों से व्यक्त की जा रही थी जब वहां अर्ध सैनिक बल भेजे गए, अमरनाथ यात्रियों पर्यटकों को वापस बुला लिया गया था स्कूल कालेज बंद करा कर परिसर खाली करा दिए गए थे।
उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार ने बिना किसी को बताए 57 पेज का जम्मू कश्मीर पुनर्गठन विधेयक पेश किया जबकि नियमतः दो दिन पहले कोई विधेयक पेश किया जाता है। इस तरह सरकार ने एक राज्य को ही देश के नक्शे से हटा दिया। जो जम्मू-कश्मीर देश का सरताज था उसे मिटा दिया और उसे एक केंद्र प्रशासित क्षेत्र में तब्दील कर दिया।
उन्होंने कहा कि वह कल रात ढाई बजे तक सो नहीं पाए क्योंकि देश भर से उन्हें फोन आ रहे थे और यह अफवाह फ़ैली थी कि जम्मू कश्मीर को दो या तीन हिस्से में बांट दिया जाएगा। कोई कह रहा था कि 370 और 35ए को हटा दिया जाएगा और आज यह अफवाह सही साबित हुए।
पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरेशी ने डॉन न्यूज टीवी से कहा कि जम्मू-कश्मीर को कश्मीर और लद्दाख नाम से दो केंद्र शासित प्रदेश बनाने का फैसला यह दर्शाता है कि भारतीय जनता पार्टी सरकार ने उन लोगों का भी विश्वास खो दिया है, जो पहले उसके साथ थे, लेकिन अब वे नजरबंद हैं।
उन्होंने कहा कि आज भारत ने एक बार फिर कश्मीर मुद्दे काे ताजा करते हुए उसका अंतरराष्ट्रीयकरण किया है। इससे समस्या का समाधान नहीं होगा और यह और बढ़ेगी। वे इस मुद्दे को दबाने में कभी भी कामयाब नहीं होंगे। समय बतायेगा कि कौन सा खतरनाक खेल खेला गया है।
उधर, पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के अध्यक्ष बिलावल भुट्टो जरदारी ने ट्वीट कर कहा कि कश्मीर में लगातार क्रूरता। कट्टरपंथी भारत सरकार के इरादे साफ हैं। राष्ट्रपति को कश्मीर पर भारत के रवैये को देखते हुए तत्काल संसद का संयुक्त सत्र बुलाना चाहिए।
पाकिस्तान की नेशनल असेंबली में विपक्ष के नेता एवं पाकिस्तान मुस्लिम लीग (नवाज) के कार्यकारी अध्यक्ष शाहबाज शरीफ ने भी कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 को समाप्त करने के भारत सरकार के फैसले की कड़ी आलोचना की और इस मुद्दे पर संसद का संयुक्त सत्र बुलाने की मांग की।
उन्होंने कहा कि पाकिस्तान को तत्काल इस मुद्दे पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की आपातकालीन बैठक बुलाने की मांग करनी चाहिए। पीएमएल (नवाज) के कार्यकारी अध्यक्ष ने कहा कि यह राष्ट्रीय हित का मामला है और सभी पाकिस्तानी एक हैं। पाकिस्तान के राजनीतिज्ञों और सैनिक नेतृत्व के लिए समय आ गया है कि वह सामूहिक रूप से फैसला लें और कश्मीर के लिए पूरे पाकिस्तान को संगठित करें।
उधर कश्मीर को लेकर पाकिस्तान के संसदीय समिति की सोमवार को एक बैठक होने वाली है।
पाकिस्तान रेडियो के अनुसार सैयद फखर इमाम की अध्यक्षता में सोमवार को समिति की बैठक होगी, जिसमें कश्मीर की स्थिति के संबंध में चर्चा होगी।
मानवाधिकार कार्यकर्ता डॉ. शिरीन मजारी ने कहा कि संरा सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों के साथ अंतरराष्ट्रीय नियमों और कानूनों के खिलाफ लिये गये भारत सरकार के फैसले की सिर्फ निंदा करने से काम नहीं चलेगा।
उन्होंने कहा कि कश्मीर संरा सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों के अनुसार एक विवादित क्षेत्र है। भारत कश्मीर के दर्जे को संसद के जरिये समाप्त नहीं कर सकता है। उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर पाकिस्तान को संरा सुरक्षा परिषद के साथ अंतरराष्ट्रीय न्यायालय तथा अन्य अंतराष्ट्रीय मंचों और मानवाधिकार संगठनों में अपील करनी चाहिए।
पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ के नेता एवं पूर्व वित्त मंत्री असद उमर ने कहा कि भारत का संविधान संशोधन अंतरराष्ट्रीय प्रस्तावों के साथ-साथ उसके अपने संविधान के भी खिलाफ है।