नई दिल्ली। मिठाईयों के राजा रसगुल्ला की पहचान की होड़ में आखिरकार ओडिशा को भी साझेदारी मिली और उसके ‘ओडिशा रसगुल्ला’ को भाैगोलिक पहचान (जीआई) टैग मिल गया। चेन्नई जीआई रजिस्ट्रार ने सोमवार को ‘ओडिशा रसगुल्ला’ को जीआई टैग दे दिया। रजिस्ट्रार ने इसकी सूचना अपने वेबसाइट पर भी जारी की है।
जीआई रजिस्ट्री की ओर से रसगुल्ले को लेकर पश्चिम बंगाल और ओडिशा को जीआई टैग देने के संदर्भ में माना जा रहा है कि दोनों राज्यों के रसगुल्ले के स्वाद और बनावट के फर्क के मद्देनजर अलग-अलग वैराइटी को मान्यता दी गई।
रसगुल्ले की भौगोलिक पहचान को लेकर ओडिशा और पश्चिम बंगाल के बीच काफी समय से विवाद चल रहा था। वर्ष 2017 में बंगाल के रसगुल्ला को जीआई टैग मिल गया था। ओडिशा सूक्ष्म उद्योग निगम ने इसके खिलाफ फरवरी 2018 में चेन्नई के जीआई कार्यालय में विभिन्न प्रमाण के साथ नया हलफनामा दाखिल किया। इसकेे अलावा ओडिशा उच्च न्यायालय में भी एक याचिका दायर की गई थी।
हालांकि माना जाता है कि रसगुल्ला का सृजन सबसे पहले कलकत्ता (अब कोलकाता) में हुआ है। कोलकाता के एक हलवाई नवीन दास को रसगुल्ला का पितामह निरुपित किया जाता है। नवीन रसगुल्ला केे कोलंबस के नाम से भी लोकप्रिय हैं।
संबंधित तथ्यों का एक दूसरा पहलू यह भी है कि नवीन ने जिस समय कोलकाता में रसगुल्ला को प्रस्तुत किया था, उससे पहले ही यह ओडिशा के भुवनेश्वर और पुरी शहरों में इस मिष्ठान्न का आगाज हो चुका था।
रसगुल्ले की खोज के संदर्भ में एक दूसरा पहलू यह भी है कि ओडिशा के लोगों का दावा है कि इसकी शुरुआत उनके राज्य से हुई है और वे अपने पक्ष में तर्क देते हैं कि यहां स्थित विश्वप्रसिद्ध भगवान जगन्नाथ के मंदिर में रसगुल्ले का भोग चढ़ाया जाता है और ओडिशा से ही इसका शेष जगहों पर प्रसार हुआ है।