नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने राजस्थान पुलिस को जोधपुर स्थित नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी (एनएलयू) में तृतीय वर्ष के छात्र विक्रांत नगाइच की हत्या की जांच दो माह में पूरी करने का बुधवार को निर्देश दिया।
न्यायमूर्ति रोहिंगटन फली नरीमन, न्यायमूर्ति नवीन सिन्हा और न्यायमूर्ति बी आर गवई की खंडपीठ ने 2017 की इस रहस्यमय हत्याकांड की जांच में राज्य पुलिस की सुस्ती को लेकर गहरी नाराजगी जताते हुए दो माह के भीतर जांच पूरी करके रिपोर्ट दाखिल करने का आदेश दिया। शीर्ष अदालत ने स्पष्ट किया कि यह जांच हर हाल में दो महीने में पूरी हो जानी चाहिए। इसके बाद अतिरिक्त समय राज्य सरकार को नहीं दिया जाएगा।
राज्य पुलिस ने मामले की स्थिति रिपोर्ट आज खंडपीठ के समक्ष पेश किया, जिसे देखते ही न्यायमूर्ति नरीमन ने कई सवाल दाग दिए। उन्होंने राज्य सरकार की ओर से पेश हो रहे वरिष्ठ अधिवक्ता मनीष सिंघवी से पूछा कि इस जांच को पूरा कब करेंगे? यह चल क्या रहा है? क्या आगे भी ऐसा ही चलता रहेगा? पुलिस जांच का सुस्त रवैया सवालों के घेरे में है। अभी तक जांच पूरी क्यों नहीं की गई?
इस पर सिंघवी ने कहा कि मामले की जांच पूरी करने के लिए जो भी संभव है, वह किया जा रहा है। अपराध शाखा के अपराध जांच विभाग (सीबी-सीआईडी) के बाद एक विशेष जांच दल द्वारा मामले के विभिन्न पहलुओं पर गौर किया जा रहा है। मृतक छात्र का फोन पूरी तरह से नष्ट हो गया था। पुलिस ने मृतक के बारे में कुछ सूचनाएं प्राप्त करने के लिए गूगल और फेसबुक को लिखा था, मगर वहां से कोई जवाब नहीं आया। यह उनके नियंत्रण में नहीं है।
न्यायमूर्ति नरीमन ने कहा कि पुलिस चाहे तो सोशल मीडिया अकाउंट संंबंधी जानकारी मिले बिना ही अपने निष्कर्ष को आगे बढ़ा सकती है। याचिकाकर्ता मृतक की मां नीतू कुमार नगाइच की ओर से पेश वकील आस्था शर्मा ने इस हत्याकांड की जांच के लिए राज्य पुलिस को एक निश्चित मोहलत देने का अनुरोध किया और कहा कि न्यायालय को स्पष्ट कर देना चाहिए कि इस अवधि के भीतर जांच कार्य पूरा हो जाना चाहिए।
शर्मा की दलीलें सुनने के बाद न्यायमूर्ति नरीमन ने राज्य सरकार को दो माह के भीतर हत्याकांड की जांच पूरी करने और अंतिम रिपोर्ट खंडपीठ के समक्ष पेश करने का अनुरोध किया।उल्लेखनीय है कि जोधपुर स्थित नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी के छात्र विक्रांत का शव 14 अगस्त 2017 को मंडोर रेलवे स्टेशन की पटरी के पास संदिग्ध हालात में पाया गया था।