नयी दिल्ली । देश की विराट सैन्य शक्ति, ऐतिहासिक सांस्कृतिक धरोहर और अनेकता में एकता की गौरवशाली परंपरा की आज राजपथ पर गणतंत्र दिवस परेड में भव्य झलक दिखायी दी जिसमें पहली बार आजाद हिन्द फौज (आईएनए) के भूतपूर्व सैनिकों ने भी हिस्सा लिया।
सत्तरवें गणतंत्र दिवस का मुख्य समारोह राजधानी के राजपथ पर हुआ। दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सीरिल रामाफोसा समारोह के मुख्य अतिथि थे और प्रवासी भारतीय दिवस में हिस्सा लेने आये भारतवंशी नेताओं को भी इसके लिए विशेष रूप से आमंत्रित किया गया था। समूची राजधानी में सुरक्षा के चाक-चौबंद इंतजाम किये गये थे और परेड स्थल, आस-पास की इमारतों की छतों पर शार्प शूटर तथा उनसे लगते क्षेत्रों में चप्पे-चप्पे पर सुरक्षाकर्मी तैनात किये गये थे।
इससे पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण और तीनों सेनाओं के प्रमुखों ने इंडिया गेट स्थित अमर जवान ज्योति जाकर शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की। इसके बाद प्रधानमंत्री ने सलामी मंच के निकट राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और समारोह के मुख्य अतिथि श्री रामाफोसा की अगवानी की। राष्ट्रपति ने सलामी मंच पर राष्ट्रीय ध्वाजारोहण किया जिसके बाद उन्हें 21 तोपों की सलामी दी गयी और सेना के एम आई-17 हेलिकाॅप्टरों ने राजपथ पर पुष्प वर्षा की जिससे दर्शकों के हर्ष का ठिकाना नहीं रहा।
राष्ट्रपति ने जम्मू-कश्मीर में आतंकवादियों से लोहा लेते हुए शहीद हुए सेना के लांस नायक नजीर अहमद वानी की पत्नी श्रीमती महजबीं को शांतिकाल का सर्वोच्च सम्मान अशोक चक्र प्रदान किया। इस दौरान राजपथ पर माहौल भावुक हो गया।
सेना के दिल्ली मुख्यालय क्षेत्र के जनरल आफिसर कमांडिंग लेफि्टनेंट जनरल तथा परेड कमांडर असित मिस्त्री और उनके बाद दिल्ली मुख्यालय क्षेत्र के चीफ ऑफ स्टाफ मेजर जनरल तथा परेड के सेकेंड इन कमान राजपाल पूनिया ने राष्ट्रपति को सलामी दी। इसके बाद सेना के तीन परमवीर चक्र विजेता और पांच अशोक चक्र विजेता भी जीप में सवार होकर सलामी मंच के सामने से गुजरे। आजादी के बाद पहली बार आजाद हिन्द फौज के चार भूतपूर्व सैनिक भी परेड की शान बढाते नजर आये। इन पूर्व सैनिकों के नाम चंडीगढ के लालतीराम (98), गुरूग्राम के परमानंद (99), हीरा सिंह (97) और भागमल (95) हैं।
समारोह में नारी शक्ति के नेतृत्व में सशस्त्र सेनाओं के मार्चिंग दस्तों, बैंडों, स्कूली बच्चों के लोक नृत्य और अन्य कार्यक्रमों ने राजपथ पर माहौल को देश के सतरंगी रंगों से सरोबार कर दिया। इस बार नारी शक्ति की मौजूदगी पिछले वर्षों की तुलना में कहीं अधिक दिखाई दी। तीनों सेनाओं के मार्चिंग दस्ते की कमान महिला अधिकारियों के हाथ में थी और असम रायफल्स की ओर से तो पूरे दस्ते में महिला सैनिक ही कदमताल कर रही थीं। इसके अलावा सेना की एक महिला अधिकारी ने मोटरसाइकिल पर करतबबाजी कर रहे दस्ते का नेतृत्व किया। उनके करतबों ने दर्शकों को दांतों तले उंगली दबाने के लिए मजबूर कर दिया।
परेड के अन्य आकर्षणों में सेना के लिए अमेरिका से खरीदी गयी एम-777 अल्ट्रा लाइट हावित्जर तोप और मेक इन इंडिया के तहत देश में ही बनायी गयी के-9 वज्र तोप पहली बार राजपथ पर दिखायी दी। के-9 वज्र तोप को लार्सन और टूब्रो ने बनाया है। डीआरडीओ द्वारा बनायी जाने वाली मध्यम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल तथा अर्जुन बख्तरबंद रिकवरी वाहन ने भी पहली बार परेड की शान बढ़ायी। एक अन्य आकर्षण वायु सेना का मालवाहक विमान ए एन-32 रहा जिसने पहली बार जैव ईंधन से उड़ान भरी। परेड में पहली बार सशस्त्र सेनाओं की मार्शल धुन के शंखनाद की गूंज भी सुनाई दी।
परेड में सशस्त्र सेनाओं, अर्द्ध सैनिक बलाें, दिल्ली पुलिस, एनसीसी और एनएसस के 16 मार्चिंग दस्तों के साथ 16 बैंडों ने हिस्सा लिया। साथ ही राज्यों, केन्द्र शासित प्रदेशों और मंत्रालयों की 22 झांकियाें ने भी देश की विविधता में एकता के रंगों को राजपथ पर बिखेरा। इन झांकियों का थीम राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के जीवन और कार्यों पर आधारित था। स्कूली बच्चों ने भी राजपथ पर अपने-अपने राज्यों के लोकसंगीत और लोक नृत्य पेश किये।
परेड में सेना की भागीदारी 61 केवलेरी के घुड़सवार दस्ते, आठ मकैनाइज्ड कॉलम, छह मार्चिंग दस्तों के साथ-साथ ध्रुव और रूद्र हेलिकॉप्टर ने की। भूतपूर्व सैनिकों की झांकी भी राजपथ से गुजरी। राजपथ पर झांकियों के माध्यम से अपनी सांस्कृतिक छटा दिखाने वाले राज्यों, केन्द्र शासित प्रदेशों और मंत्रालयों में सिक्किम, महाराष्ट्र, अंडमान और निकोबार, असम, त्रिपुरा, गोवा, अरूणाचल प्रदेश, पंजाब, तमिलनाडु, गुजरात, जम्मू कश्मीर, कर्नाटक, उत्तराखंड, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, पेयजल और स्वच्छता मंत्रालय, रेल मंत्रालय, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, केन्द्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल और केन्द्रीय लोक निर्माण विभाग शामिल थे। प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार से सम्मानित 26 बच्चे भी जीप में सवार होकर सलामी मंच से गुजरे। इन बच्चों को शैक्षणिक, खेल, बहादुरी और नवाचार जैसे छह क्षेत्रों से चुना गया था।
सबसे अंत में वायु सेना के लड़ाकू विमानों ने गर्जन करते हुए विभिन्न ‘फॉर्मेशन्स’ में ठीक सलामी मंच के ऊपर उड़ान भरी और समूचे राजपथ तथा आस पास के क्षेत्रों को गुंजायमान कर दिया। उपस्थित जनसमूह एकटक इस दृश्य को निहारता रहा।
परेड के मद्देनजर राजधानी में 50 हजार से अधिक सुरक्षाकर्मी तैनात किये गये थे और विजय चौक से लाल किले तक 600 सीसीटीवी कैमरे लगाये गये थे। परेड स्थल के आस-पास की सड़कों को बंद कर दिया गया था। दिल्ली की जीवनरेखा बन चुकी मेट्रो में भी सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किये गये। परेड के दौरान कुछ स्टेशनों को पूरी तरह तो कुछ अन्य स्टेशनों के कुछ गेटों को बंद किया गया था। सुरक्षा के दृष्टिकोण से राजधानी को 28 सेक्टरों में बांटा गया था और प्रत्येक सेक्टर की जिम्मेदारी वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को दी गई थी।
सभी प्रमुख बाजारों, रेलवे-मेट्रो स्टेशनों, हवाई अड्डा, बस अड्डा, ऐतिहासिक और धार्मिक स्थलों सहित भीड़भाड़ वाले इलाके में सुरक्षा के पुख्ता बंदोबस्त किये गये थे। कई महत्वपूर्ण स्थलों की सुरक्षा सेना ने अपने जिम्मे ले ली है। राजधानी से लगने वाले दूसरे राज्यों की सीमा सहित अन्य प्रमुख स्थलों पर चौकसी बढ़ा दी गई थी।