-परीक्षित मिश्रा
सबगुरु न्यूज-सिरोही। देवनगरी में मानों शुक्रवार को भगवान अवतरित हो गए हों। जिन्होंने हादसों में अपने शरीर के महत्वपूर्ण अंग गवां चुके लोगों के लिए हाथ-पांव बनाए और उन्हें फिर से चलने फिरने और काम करने योग्य बना दिया।
हाथ-पांव गवां चुका हर निसहाय इन भगवानों के हुनर से अपने हाथ और पांव बनने की बारी का इंतजार करते रहे और हाथ-पांव बनकर लगने के बाद दुनिया के साथ अपने कदम मिलाने के लिए उठ खड़े हुए। दु:ख, खुशी, आशा, जीजीविषा, आत्मविश्वास जैसे अनेकानेक भावों का यह दृश्य पावापुरी धाम में निशुल्क दिव्यांग अंग वितरण शिविर के अंदर था।
नाप ले रहे थे फिर बना रहे थे हाथ पांव
शिविर में जयपुर की भगवान महावीर विकलांग सहायता समुह जयपुर के कृत्रिम अंग निर्माण करने के एक्सपर्ट युवक शिविर में बिना हाथ और बिना पांव के आए आए दिव्यांगों के हाथ पांव मौके पर ही बना रहे थे। इसके लिए एक्सपर्ट युवकों की पूरी टीम लगी थी। इसके लिए सबसे पहले एक प्लास्टर ऑफ पेरिस का प्लास्टर लगाकर नेगेटिव बनाया जा रहा था।
पावापुरी में कृत्रिम हाथ बनाते महावीर विकलंग सहायता केन्द्र के एक्सपर्ट।इस पर लपेटकर प्लास्टिक फिल्म पीडि़त के हाथ पांव के नाप की डाई बनाई जा रही थी। इस डाई के तैयार होने पर इस पर हाई डेफिनिशन पॉलीपिन को चढ़ाकर कृत्रिम अंग बनाया जा रहा था। कृत्रिम अंग इस तरह से स्वचालित थे कि पीडि़त अपने चलने फिरने की गतिविधि समुचित तरीके से कर पा रहा था। इन अंगों के हाथ के पंजे तो ऐसे थे कि इसमें पेन पकडक़र अंगविहिन व्यक्ति हस्ताक्षर तक कर सकता है।
अंग निर्माता एक्सपर्ट भी दिव्यांंग
भगवान महावीर विकलांग सहायता समुह जयपुर, जो कि जयपुर फुट के लिए विश्व प्रसिद्ध संस्थान है, के कृत्रिम अंग निर्माण करने वाले एक्सपर्टस में कई युवक तो स्वयं भी दिव्यांग हैं। इनके काम के उत्साह को देखते ही बनता है। हर अंग बनाने में करीब तीस से पैंतीस मिनट का समय लगता है। वहीं कई बार मास्टर पार्ट भी बनाए जाते हैं। इनके इस्तेमाल से यह कृत्रिम अंग पंद्रह से बीस मिनट में भी बन जाते हैं।