इलाहाबाद। उन्नाव गैंगरेप मामले की सुनवाई के दौरान इलाहाबाद हाईकोर्ट ने साफ किया कि घटना के लिए उत्तर प्रदेश सरकार को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता।
मुख्य न्यायाधीश डीबी भोसले ने महाधिवक्ता से कहा कि इस घटना में सरकार को कहीं से भी दोषी नहीं ठहराया जा सकता क्योंकि पीड़िता का पत्र मिलते ही मुख्यमंत्री ने तत्काल कार्रवाई करने को कहा, और उस पर कार्रवाई हुई। यह पुलिस ही है जिसनेे मुल्जिमों की गिरफ्तारी नहीं की।
मामले की सुनवाई के दौरान सरकार का रूख जानने के लिए मुख्य न्यायाधीश कक्ष वकीलों से खचाखच भरा रहा। लगभग तीन घंटे मामले की सुनवाई चली और तत्काल गिरफ्तारी को लेकर न्यायालय ने न्यायमित्र गोपाल चतुर्वेदी एवं महाधिवक्ता राघवेन्द्र सिंह की अलग-अलग दलीलें सुनी।
न्यायमित्र का कहना था कि यह ऐसा मामला है जिसमें पुलिस को लड़की का बयान लिए बगैर तत्काल मुल्जिमों की गिरफ्तारी करनी चाहिए क्योंकि लड़की जब स्वयं पत्र लिखकर पुलिस को दे रही है तो उसके बयान की गिरफ्तारी के उद्देश्य से तत्काल कोई जरूरत नहीं है। इसपर महाधिवक्ता का तर्क था कि पुलिस सीआरपीसी के प्राविधानों के अनुसार कार्रवाई कर रही है और विश्वसनीय साक्ष्य मिलते ही मुल्जिमों को गिरफ्तार कर लेगी।