परीक्षित मिश्रा
सबगुरु न्यूज-सिरोही। राजस्थान सरकार ने विधायक संयम लोढ़ा के प्रयासों से सिरोही और आबूरोड में सीवेज प्लांट के लिए 403.50 करोड़ रुपये स्वीकृत किए हैं। इसमें सिरोही के लिए 174.50 करोड़ तथा आबूरोड के लिए 229 करोड़ रुपये की स्वीकृति दी है। लेकिन, यही काफी नहीं है।
सीवेज प्लांट के सही ढंग से वर्किंग के लिए विश्व स्वस्थ्य संगठन के अनुसार 100 लीटर प्रति व्यक्ति प्रतिदिन तो भारत के ही सेंट्रल पब्लिक हैल्थ एनवायरमेंटल एंड इंजीनियरिंग ऑर्गेनाइजेशन के अनुसार 135 लीटर प्रतिदिन प्रति व्यक्ति पानी की आवश्यकता है।
गर्मी के दिनों में सिरोही में उसके मूल पेयजल स्रोत अणगौर के सूखने के बाद यहां पर 45 लीटर प्रति व्यक्ति प्रतिदिन पानी मिल पाता है जबकि मानसून के बाद जलदाय विभाग के कुओं के रिचार्ज होने के बाद यह वितरण 70 से 90 लीटर प्रतिदिन प्रतिव्यक्ति पहुंच पाता है।
इन हालातों में पौने दो अरब रुपये खर्च करके भी पानी के अभाव में सिरोही की सीवेज लाइन पानी के अभाव में जाम होने के कारण जमीन के नीचे दफन होने से ज्यादा कुछ हासिल नहीं कर पाएगी। पाली और जालोर में आ रही समस्याएं इसके उदाहरण है।
-पेयजल के लिए यह प्रावधान
सीवेज लाइन के लिए पानी की पर्याप्त आवश्यकता कितनी है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि राज्य सरकार ने सिरोही और आबूरोड के लिए सीवेज प्लांट के लिए जो राशि जारी की है उसमें से 62.50 करोड़ व 70 करोड़ रुपये पेयजल की वितरण व्यवस्था पर खर्च किए जाएंगे।
ऐसे में यह अंदाज लगाना मुश्किल नहीं है कि सीवेज में सीवेज फ्लो के लिए 125 लीटर प्रतिव्यक्ति प्रतिदिन पानी का वितरण कितना आवश्यक है। यह व्यवस्था 2051 की संभावित आबादी के हिसाब से करनी है। इस राशि का जारी करवाने के बाद संयम लोढ़ा ने बताया कि सिरोही शहर की पेयजल आपूर्ति के लिए अणगौर और कालका तालाब को ऑपरेशनल कंडीशन में लाया जाएगा।
लेकिन, वर्तमान हालातों को देखें तो यह कहना मुश्किल नहीं है कि अणगोर और कालका तालाब के दम पर सिरोही शहर में सीवेज प्लांट को बिना किसी बाधा के ऑपरेट किया जा सकेगा। मानसून आधारित इन दो जलस्रोतों में औसत से कम बारिश होने पर सिरोही पेयजल वितरण व्यवस्था पूरी तरह से बर्बाद हो जाती है, जैसा कि अभी हो रहा है।
-सरफेस वाटर की जरूरत
पेयजल वितरण के लिए दो तरह से पानी का वितरण किया जाता है। एक सरफेस वाटर से, जिसमें बांधों, तालाबों से सीधे ही पानी का वितरण पाइपलाइनों से किया जाता है। दूसरी व्यवस्था है भूजल से, जिसमें बांधों, तालाबों और की डाउनस्ट्रीमें में कुएं खोदकर पानी का वितरण किया जाता है।
सिरोही में पेयजल वितरण की दूसरी व्यवस्था है। विशेषज्ञों के अनुसार भूजल वितरण व्यवस्था से 125 से 135 लीटर प्रतिदिन प्रतिव्यक्ति पानी सप्लाई किया जाना मुश्किल है। सिरोही में प्रतिदिन फिलहाल 2500 किलोलीटर पेयजल 72 घंटे में सप्लाई किया जा रहा है। जलदाय विभाग के अनुसार प्रतिदिन प्रतिव्यक्ति के हिसाब से बांटा जाए तो ये पर डे पर केपिटा 45 लीटर प्रतिदिन होता है। जो कि सीवेज प्लांट के लिए आवश्यक की वास्तविक आवश्यकता से एक तीहाई है।
-कश्मीर या जवाई का पानी स्थायी हल
यह तो तय है कि भूजल से सिरोही में सीवेज सिस्टम के लिए उतना पानी उपलब्ध करवा पाना मुश्किल है, जितना सीवेज को सुचारू संचालन के लिए आवश्यक है। पंजाब सरकार द्वारा सतलज नदी पर निर्माणाधीन शाहपुर कांडी बांध अगले तीन साल में बनकर तैयार हो जाएगा। इससे जम्मू कश्मीर, पंजाब के साथ राजस्थान को भी पानी मिलेगा। वहां और राजस्थान दोनों जगह कांग्रेस की सरकार है।
ऐसे वर्तमान सरकार अपने हिस्से का पानी बढ़वाकर जोधपुर तक आ रहे हरिके बांध के पानी को राजस्थान नहर को पाली होते हुए सिरोही ला सकती है। या फिर यह पानी पूरे पाली शहर को दिलवाकर जवाई से पाली को दिए जा रहे पानी को सिरोही के लिए आरक्षित कर सकती है। नर्मदा के मूल प्रोजेक्ट में ही सिरोही का नाम नहीं होने से वहां का पानी मिलना लगभग नामुमकिन है। सिरोही, राजस्थान और केन्द्र में एक ही पार्टी की सरकार होते हुए भी जब इसमें सिरोही का नाम नहीं आ पाया तो आगे आ पाना मुश्किल है।
-इनका कहना है…
सिरोही में फिलहाल अणगौर से पेयजल वितरण किया जा रहा है। सीवेज के पेयजल वितरण के लिए तमाम व्यवस्था रुडीप के प्रोजेक्ट में ही होगी। वैसे इतने पानी की आवश्यकता की पूर्ति के लिए ग्राउण्ट वाटर की बजाय सरफेस वाटर सोर्स से ज्यादा बेहतर हो पाएगी।
राजेन्द्र पुरोहित
एसई, जलदाय विभाग, सिरोही।