नई दिल्ली। सरकार शिक्षकों की गुणवत्ता को जड़ से सुधारने के लिए अगले सत्र से चार साल का बीए बीएड/ बीएससी बीएड/ बीकॉम पाठ्यक्रम आरंभ करने जा रही है। साथ ही नौवीं से 12वीं कक्षा तक देश की 15 लाख कक्षाओं में डिजीटल बोर्ड लगाने का अभियान भी शुरू किया जाएगा।
मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने लोकसभा में राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (संशोधन) विधेयक, 2017 पर चर्चा का जवाब देते हुए यह घोषणा की। सदन में सर्वसम्मति से ध्वनिमत के साथ विधेयक को मंज़ूरी दे दी। जावड़ेकर ने कहा कि चर्चा में भाग लेने वाले सभी सदस्यों ने शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने के लिए शिक्षकों की गुणवत्ता को सबसे महत्वपूर्ण माना है।
उन्होंने कहा जिनको कोई काम नहीं मिला, वे शिक्षक बने गए, इस परंपरा को समाप्त करने के लिए सरकार चार साल की अवधि वाला बीए-बीएड/ बीएससी-बीएड/ बीकॉम-बीएड के समग्र पाठ्यक्रम शुरू करने जा रही है। इससे 12वीं पास करने के बाद वही लोग आएंगे जो शिक्षक बनना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि एक साल का बीएड अभी जारी रहेगा, लेकिन पांच साल बाद इसे समाप्त कर दिया जाएगा।
उन्होंने कहा कि देश में शिक्षा का बजट 70 प्रतिशत बढ़कर एक लाख दस हजार करोड़ रुपये का हो गया है। उन्होंने कहा कि पहले आॅपरेशन ब्लैकबोर्ड चलाया जाता था। अब सरकार नौवीं से 12वीं कक्षा के बच्चों के लिए देश की करीब 15 लाख कक्षाओं में डिजीटल बोर्ड लगाने का अभियान चलाएगी।
मानव संसाधन विकास मंत्री ने कहा कि सरकार ने शिक्षकों की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए देश के सभी सरकारी एवं निजी 18,600 संस्थानों से वीडियोग्राफी सहित हलफनामा मांगा है कि उनके यहाँ क्या ढांचागत सुविधाएं हैं और शिक्षकों की क्या स्थिति है। उन्होंने कहा कि पहले चरण में लगभग 8,700 और दूसरे चरण में करीब 3,700 संस्थानों से हलफनामे आ गए हैं। बाकी संस्थानों से भी मंगाए जा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि उच्चशिक्षा के क्षेत्र में मदन माेहन मालवीय शिक्षक प्रशिक्षण कार्यक्रम के तहत 87 संस्थानों को मान्यता प्रदान की जाएगी तथा प्रत्येक प्रोफेसर को दो या तीन माह के इंडक्शन कोर्स के लिए भेजा जाएगा।
उन्होंने कहा कि देश में करीब 15 लाख ऐसे शिक्षक थे जो केवल 12वीं पास थे और उनके पास कोई डिप्लोमा नहीं था। ऐसे करीब साढ़े 14 लाख अध्यापक डिप्लोमा इन एजुकेशन (डीएड) की परीक्षा में बैठे हैं। बाकी लोगों को मार्च 2019 में परीक्षा में बैठाया जाएगा।
जावड़ेकर ने यह भी कहा कि इस वर्ष 27 जुलाई को पड़ने वाली गुरु पूर्णिमा के दिन सभी छात्रों से उनके गुरु का वंदन करते हुए एक सेल्फी सोशल मीडिया पर पोस्ट करने का भी अभियान भी चलाया जाएगा ताकि समाज में शिक्षकों का सम्मान और बढ़े।
उन्होंने कहा कि लर्निंग आउटकम यानी पढ़ाई के प्रभाव के आकलन के लिए यह तय किया गया है कि किस कक्षा के विद्यार्थी को कितना आना चाहिए। इसके साथ ही अभिभावकों को भी बताया जायेगा कि उनके बच्चे को कितना पता होना चाहिए।
उन्होंने बताया कि बिहार एवं झारखंड के इंजीनियरिंग कॉलेजों में शिक्षकों की कमी को देखते हुए एक प्रयोग किया गया कि आईआईटी से बीटेक/ एमटेक करने वाले छात्रों से 70 हजार रुपए के वेतन के साथ तीन साल तक इंजीनियरिंग कॉलेजों में पढ़ाने का प्रस्ताव किया था जिससे करीब 1,200 शिक्षक मिले और एक लाख छात्रों को लाभ हुआ है।
उन्होंने यह भी बताया कि नई शिक्षा नीति का मसौदा लगभग तैयार हो गया है और जल्द ही उसे सार्वजनिक किया जाएगा।