नई दिल्ली। सरकार ने मंगलवार को लोकसभा में कहा कि अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के खिलाफ होने वाले अत्याचार को रोकने के लिए सरकार निरंतर सख्त कदम उठा रही है।
केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री रतन लाल कटारिया ने प्रश्नकाल के दौरान पूरक प्रश्नों के सवाल के जवाब में कहा कि अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम 1955 के नियम 16 में मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में राज्य स्तरीय सतर्कता और निवारण समिति गठित करने का प्रावधान किया गया है।
इस संबंध में सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों से समिति गठित कर बैठक करने का आग्रह किया गया है लेकिन ज्यादातर राज्यों में मुख्यमंत्रियों की अध्यक्षता में बैठकें नहीं हुई हैं। उन्होंने कहा कि जिला स्तर पर सतर्कता एवं निगरानी समिति की अच्छी बैठकें हुई हैं।
कटारिया ने कहा कि सतर्कता एवं निगरानी समिति की बैठकों को लेकर सरकार की ओर से राज्यों के मुख्यमंत्रियों के लिए चार पर परामर्श जारी किये गये हैं लेकिन परिणाम संतोषजनक नहीं आये। उन्होंने कहा कि वर्ष 2018 में गुजरात में तीन तथा पश्चिम बंगाल में दो जबकि असम, छत्तीसगढ़, हरियाणा, मध्य प्रदेश, चंडीगढ़ और पुड्डुचेरी में एक-एक बैठक की गयी है। इसके अलावा किसी भी राज्य में मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में कोई बैठक नहीं की गयी है।
उन्होंने कहा कि दलितों के खिलाफ अत्याचार की गंभीरता को देखते सरकार की ओर से निरंतर सख्त कदम उठाये जा रहे हैं ताकि अत्याचार पर पूरी तरह से रोक लग सके।