नई दिल्ली। दिवालिया होने के कगार पर पहुंच चुकी सरकारी विमानन कंपनी एयर इंडिया को टाटा संस के हवाले करने को मंत्रियों के समूह से मंजूरी मिलने की खबर का खंडन करते हुए विनिवेश का काम देखने वाले वित्त मंत्रालय के विभाग दिपम ने कहा है कि यह खबर गलत है और जब कोई निर्णय लिया जाएगा तो उसकी जानकारी दी जाएगी।
मीडिया में इस खबर के आने के बाद दिपम ने एक ट्विट के माध्यम से इसका खंडन किया और इसे गलत बताया। इससे पहले एयर इंडिया को बेचने की प्रक्रिया से जुड़े सूत्रों ने कहा कि एयर इंडिया के लिए टाटा संस की बोली को गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता वाले मंत्रियों के समूह के समक्ष रखा गया था जिसे मंजूरी मिल गई है।
इसके लिए स्पाइस जेट के अजय सिंह ने व्यक्ति स्तर पर बोली लगाई थी। इस समूह में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल भी शामिल हैं।
नागर विमानन के सूत्रों का कहना है कि टाटा संस ने इसके लिए सबसे ऊंची बोली लगाई थी। टाटा संस द्वारा इसके लिए सरकार द्वारा निर्धारित न्यूनतम बाेली से करीब तीन हजार करोड़ रुपए की अधिक बोली लगाये जाने की जानकारी मिली है।
वर्ष 1932 में टाटा समूह जेआरडी टाटा ने इस विमानन कंपनी की स्थापना की थी लेकिन बाद में इसे राष्ट्रीयकृत कर दिया गया था। यदि यह खबर सच्ची साबित होती है तो करीब 67 वर्षाें के बाद फिर से यह विमानन कंपनी टाटा के हवाले हो जाएगी। सूत्रों की माने तो दिसंबर तक इस सौदे को अंतिम रूप दिया जा सकता है।