नई दिल्ली। राफेल लड़ाकू विमान सौदे से संबंधित फैसले में नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक तथा संसद की लोक लेखा समिति के संदर्भ को लेकर मचे सियासी घमासान के बीच केन्द्र सरकार ने शनिवार को उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर कर इसमें तथ्यात्मक सुधार का अनुरोध किया।
रक्षा मंत्रालय में उप सचिव सुशील कुमार ने केंद्र सरकार की ओर से याचिका दायर करके फैसले के पैरा 25 की उन दो पंक्तियों में तथ्यात्मक सुधार की मांग की है, जिसमें कैग रिपोर्ट और पीएसी का संदर्भ आया है।
याचिका में कहा गया है कि कैग रिपोर्ट और पीएसी से जुड़े सीलबंद दस्तावेज को लेकर अलग-अलग व्याख्या की जा रही है और उसमें तत्काल सुधार की जरूरत है।
गौरतलब है कि शीर्ष अदालत ने गत शुक्रवार को अपने फैसले में कहा था कि कैग के साथ कीमत के ब्योरे को साझा किया गया और कैग की रिपोर्ट पर पीएसी ने गौर किया।
केंद्र सरकार ने याचिका में कहा है कि उसने सीलबंद लिफाफे में जिन महत्वपूर्ण बिंदुओं का उल्लेख किया था, उनमें कैग रिपोर्ट और पीएसी से संबंधित जानकारी में इस्तेमाल किए गए शब्दों के स्थान पर फैसले में अलग शब्द इस्तेमाल किए गए हैं, जिससे उसका अर्थ ही बदल गया है। सरकार ने संबंधित फैसले की इस गड़बड़ी को यथाशीघ्र दूर करने का आग्रह किया है।
फैसले में कहा गया है कि न्यायालय के सामने रखे गए साक्ष्य से पता चलता है कि केंद्र ने राफेल लड़ाकू विमान पर मूल्य के विवरणों का संसद में खुलासा नहीं किया, लेकिन कैग के सामने इसे उजागर किया गया और पीएसी ने कैग की रिपोर्ट पर गौर भी किया।
हालांकि, फैसले के बाद कांग्रेस नेता और पीएसी के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने संवाददाताओं से कहा कि उनके सामने इस तरह की कोई रिपोर्ट नहीं आई थी। इसके बाद सियासी घमासान तेज हो गया।