जयपुर। नगर निगम जयपुर ग्रेटर की निलंबित मेयर सौम्या गुर्जर और तीन पार्षदों को हटाने की प्रक्रिया सरकार ने शुरू कर दी है। स्वायत शासन निदेशक दीपक नंदी ने पूरे प्रकरण की न्यायिक जांच अनुशंसा कर प्रमुख शासन सचिव कुंजीलाल मीणा के माध्यम से शहरी विकास मंत्री शांति धारीवाल को फाइल भेजी थी। अब शहरी विकास मंत्री धारीवाल ने न्यायिक जांच की अनुशंसा को स्वीकार करते हुए मेयर सौम्या गुर्जर और तीनों पार्षदों के खिलाफ न्यायिक जांच कराने की अनुमति प्रदान कर दी है।
डीएलबी निदेशक दीपक नंदी ने नगरपालिका अधिनियम की धारा 39 (3) के तहत मेयर और तीनों निलंबित पार्षदों को नोटिस भेजा और उसके साथ जांच रिपोर्ट की प्रति भी भेजी गई है, इसके बाद निलंबित मेयर सहित तीनों पार्षदों ने अपना जवाब दिया था। चारों के जवाब के बाद ही सरकार ने प्रक्रिया पूरी करते हुए न्यायिक जांच के आदेश जारी किए है।
14 जून को हाईकोर्ट में मेयर सोम्या गुर्जर और तीन पार्षदों के निलंबन के मामले को लेकर सुनवाई होनी है। ऐसे में सरकार अब हाईकोर्ट जस्टिस प्रकाश भंडारी और सीके सोनगरा की खंडपीठ के समक्ष जानकारी प्रस्तुत करेंगी कि सरकार ने तीनों के खिलाफ न्यायिक जांच शुरू कर दी है। ऐसे में सरकार की कार्रवाई पर फिलहाल स्टे नहीं दिया जाए। अधूरी न्यायिक जांच के चलते हाई कोर्ट सरकार के प्रस्ताव को मानकर मेयर और तीनों पार्षदों को तत्काल रिलीफ देने की जगह न्यायिक जांच पूरी होने तक मामला खारिज या टाल भी सकता है?
गौरतलब है कि ग्रेटर नगर निगम के कमिश्नर के साथ उनके कक्ष में मेयर की उपस्थिति में पार्षद द्वारा हाथापाई और अभद्र भाषा का प्रयोग किए जाने की सरकार द्वारा जांच करवाई गई थी और जांच के बाद चारों को निलंबित कर दिया गया था। मेयर की जगह 24 घंटे में ही नई कार्यवाहक मेयर शील धाबाई को नियुक्त किया गया।