सबगुरु न्यूज-सिरोही। सिरोही नगर परिषद में पिछले सप्ताह की बात है। सभापति कक्ष में एक पूर्व सभापति पहुंचे। उनके साथ कुछ पार्षद भी थे। बात हुई कि शहर के फलां इलाके में कचरा नहीं उठा है। सफाई निरीक्षक को बुलवाया तो पता चला वहां कचरा परिवहन वाला नहीं पहुंचा है। दूसरे दिन शाम को वहां पर से कचरा उठा।
ये पहला मामला नहीं था कि शहर में कचरा परिवहन को लेकर शिकायत आई है। डोर टू डोर कचरा परिवहन में भी नियमितता टूटने की शिकायतें आई है। 16 जन 2018 को सिरोही नगर परिषद के द्वार पर धरने के दौरान सिरोही विधायक संयम लोढ़ा ने कहा था कि इस नगर परिषद में कांग्रेस को कभी भी बहुमत नहीं मिला।
लेकिन, सफाई व्यवस्था की बदहाली और सिरोही नगर परिषद में पूर्ववत व्याप्त अव्यवस्था फिर से सवाल उठा रही है कि आखिर सिरोही नगर परिषद में कांग्रेस को अभूतपूर्व बहुमत देने के बाद भी सिरोही को सफाई और रोड लाइटों जैसी आधारभूत सुविधाओं के मामले में डेढ़ साल में क्या परिवर्तन आया?
जीपीएस के जमाने में अभी भी पुरानी व्यवस्था
सिरोही शहर में सफाई के लिए तीन तरह के ठेके दिए हुए हैं। सफाई करने के लिए सफाई कार्मिकों का ठेका, इसे तीन जोनों में किया गया है। सफाई कर्मियों द्वारा सड़कों पर एकत्रित कचरे को उठाने के लिए कचरा परिवहन का ठेका, इसमें ट्रेक्टर्स की व्यवस्था है जो ट्रेचिंग के कचरा उठाएंगे।
घर से कचरा उठवाने के लिए घर-घर कचरा व्यवस्था का ठेका। इन पर मेनुअल नजर रखी जा रही है। सोशल मीडिया पर अपने प्रचार के लिए जागरूक हो चुके सिरोही सभापति और नगर परिषद पार्षद आज भी जीपीएस प्रणाली से इन वाहनों पर नजर रखने की व्यवस्था के अनजान हैं या फिर मेनुअल ऑब्जर्वेशन के पीछे की मंशा कुछ और है।
समय पर सफाई नहीं तो पैसा क्यों?
समय पर शहर के ट्रेचिंग सेंटरों से कचरा नहीं उठ रहा है। या फिर सफाई नहीं हो रही है तो फिर ठेकेदारों और कार्मिकों को पैसा दिया क्यों जा रहा है। उपर दिया हुआ उदाहरण वो घटना है जो सामने आ गई, लेकिन प्रतिदिन इस तरह के सही ढंग के अवलोकन के अभाव में किस तरह की लापरवाही हो रही है उसकी पोल शहर की सफाई व्यवस्था खोल रही है।