चंडीगढ़। आम आदमी पार्टी की पंजाब इकाई ने ग्रामीण क्षेत्रों के लिये बिजली की दरों में वृद्धि विरोध करते मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह सरकार से इस फैसले तो तत्काल वापस लेने की मांग करते हुये कहा है कि इससे देहाती खपतकारों पर 200 करोड़ रुपए से अधिक का अनावश्यक बोझ पड़ेगा।
पार्टी के सह अध्यक्ष डा0 बलबीर सिंह ने आज यहां कहा कि लोग महंगाई और कर्जे से पहले ही परेशान हैं। कांग्रेस सरकार ने अपने सवा साल के कार्यकाल में बिजली की दर में चार बार वृद्धि करके जनता के साथ वायदा खिलाफी की है। बार-बार बिजली दरें बढ़ाकर पंजाब देश के महंगी बिजली बेचने वाले राज्यों में शुमार हो गया है।
उन्होंने कहा कि विधानसभा चुनावों के समय कांग्रेस ने सस्ती बिजली देने और अकाली -भाजपा सरकार द्वारा प्राईवेट बिजली कंपनियों के साथ किये महंगे इकरारनामों को रद्द करके नए सिरे से समझौता करने का वायदा किया था। प्रदेश के खपतकार पहले की गई वृद्धि का बकाया अभी किश्तों में उतार ही रहे हैं जबकि पहली अप्रैल से लागू इस फ़ैसले का पिछला बकाया भी नए बिलों में वसूला जाना है।
डा. सिंह ने कहा कि बिजली महकमे में पक्के स्टाफ की लगातार घटती संख्या के कारण ग्राहकों की शिकायतों का निपटारा नहीं हो रहा। ठेके पर भर्ती और आउटसोर्सिंग स्टाफ के कारण बिजली महकमे के दफ़्तरों में ग़ैर जिम्मेदारना माहौल है। दूसरी तरफ़ लोग बिजली की कमी के कारण लगे रहे अघोषित कटों से परेशान हैं और जगह -जगह रोष प्रदर्शन हो रहे हैं।
आप नेता ने कहा कि पहले शहरी लोगों पर 2 प्रतिशत सैस, फिर रेगुलैटरी कमीशनों के 9.3 वृद्धि पर करीब 5 प्रतिशत फ़ाल सरचार्ज थोपा गया। गौशालाओं को दी जाने वाली मुफ़्त बिजली सुविधा बंद कर दी गई। दलित वर्ग को दी जाती बिजली सब्सिडी पर शर्तें थोप दी गई।
कृषि को मिल रही मुफ़्त बिजली को ट्यूबवैलों पर मीटर लगाकर बंद करने की तैयारियां कर ली गई हैं। कैप्टन सरकार ने अपने इन लोक विरोधी, किसान विरोधी, कारख़ानेदारों विरोधी और दलित विरोधी फ़ैसले को वापस न लिया तो पार्टी सड़कों पर उतरेगी।