सूरत। गुजरात में सूरत की एक अदालत ने जेल में बंद विवादास्पद स्वयंभू धर्मगुरू आसाराम बापू के बेटे नारायण साई को दुष्कर्म और अप्राकृतिक यौनाचार के एक सनसनीखेज मामले में आज दोषी करार दे दिया।
सत्र न्यायाधीश प्रतापदान गढ़वी की अदालत 30 अप्रेल को सजा की अवधि की घोषणा करेगी। साई के अलावा दो महिलाओं समेत चार सह आरोपियों को भी अदालत ने आज दोषी ठहराया। इन लोगों ने उक्त अपराध के मामले में कथित तौर पर साई की मदद की थी।
सरकारी वकील ने बताया कि अन्य चार सह आरोपियों में गंगा जमुना नाम की दो महिलाएं और हनुमान नाम के पूर्व साधक तथा साई की फरारी के दौरान उनकी गाड़ी चलाने वाले राजकुमार मल्होत्रा को दोषी ठहराया है जबकि कुल 11 में से छह अन्य आरोपियों को बरी कर दिया है।
साई के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 376, 377, 354,323, 504, 506 (2), 508, 120 बी और 114 के तहत दोषी ठहराया गया है। उन्हें कम से कम 10 सात तथा अधिकतम उम्रकैद की सजा हो सकती है।
नारायण साई (40) के खिलाफ सूरत की एक युवती ने छह अक्टूबर 2013 को यहां जहांगीरपुरा थाने में शिकायत दर्ज करायी थी। उसने आरोप लगाया था कि जब वह आसाराम की साधिका थी तभी 2002 से 2005 के बीच साई ने उसके साथ यहां स्थित आश्रम में उससे कई बार दुष्कर्म किया था।
पीड़िता की बड़ी बहन ने भी उसी दिन आसाराम के खिलाफ भी ऐसा ही आरोप लगाते हुए मामला दर्ज कराया था। उसका कहना था कि आसाराम ने वर्ष 1997 से 2006 के बीच अहमदाबाद के मोटेरा आश्रम में उससे दुष्कर्म किया था। उस मामले को अहमदाबाद स्थानांतरित कर दिया गया था जहां गांधीनगर में एक अदालत उसकी सुनवाई कर रही है।
मामला दर्ज होने के बाद लगभग दो माह तक फरार रहे साई को हरियाणा के कुरूक्षेत्र से दिल्ली पुलिस ने दिसंबर 2013 में पकड़ा था और तब से वह यहां लाजपुर सेंट्रल जेल में बंद है। उसके खिलाफ पुलिस अधिकारियों और अन्य को रिश्वत देने से जुड़ा एक अन्य मामला भी दर्ज है।
उसने कथित तौर पर जेल में रहते हुए अपने और अपने पिता के खिलाफ चल रहे मामलों को कमजोर करने के लिए रिश्वत देने का षडयंत्र रचा था। साई के खिलाफ उसकी पत्नी जानकी ने भी राजस्थान की एक अदालत में मामला दर्ज कर रखा है। ज्ञातव्य है कि एक अन्य नाबालिग से दुष्कर्म के मामले में आसाराम पहले से ही राजस्थान के जोधपुर जेल में बंद है।