अहमदाबाद। गुजरात हाईकोर्ट ने कहा है कि कोई पत्नी अपने पति के विरूद्ध रेप का आरोप नहीं लगा सकती पर उसके खिलाफ अप्राकृतिक यौनाचार के लिए भारतीय दंड संहिता की धारा 377 के तहत मामला चला सकती है।
न्यायाधीश जेबी पारडीवाला की अदालत ने उत्तर गुजरात के एक डाक्टर दंपती के विवाद की सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी दी। उन्होंने कहा कि पत्नी के साथ सहवास पति का अधिकार है पर उसे पत्नी से अपनी निजी संपत्ति की तरह बर्ताव करने का कोई अधिकार नहीं है।
वह उसे किसी भी काम के लिए बाधित नहीं कर सकता। सहवास के लिए उसके खिलाफ रेप का मामला तो नहीं चल सकता पर अप्राकृतिक यौनाचार के लिए बाध्य करने पर पत्नी चाहे तो धारा 377 के तहत मामला चला सकती है।
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने वैवाहिक दुष्कर्म को रोकने के लिए कानून बनाने की जरुरत पर भी ध्यान देने की बात की कही है। वैवाहिक दुष्कर्म धारा 375 के अंदर नहीं आता जो आदमी को उसकी पत्नी से शारीरिक संबंध बनाने की इजाजत देता है।
परंतु इसके बावजूद हाई कोर्ट ने यह भी कहा कि कोई महिला अपने पति के खिलाफ अप्राकृतिक संबंध बनाने मामले में धारा 377 के अंतर्गत मामला दर्ज करा सकती है। न्यायालय ने कहा कि एक पति को अपनी पत्नी से शारीरिक संबंध बनाने का अधिकार है। लेकिन, वह उनकी किसी तरह की संपत्ति नहीं है और यह उसकी इच्छा के बिना नहीं होना चाहिए।
महिला डाक्टर ने अपने पति पर रेप, अप्राकृतिक यौनाचार और प्रताड़ना का आरोप लगाते हुए साबरकांठा जिले के इडर थाने में मामला दर्ज कराया था। पति, जो स्वंय भी डाक्टर हैं, ने इस शिकायत को खारिज करने के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाया था।