गांधीनगर। गुजरात के उपमुख्यमंत्री नितिन पटेल ने मंगलवार को वित्त वर्ष 2018-19 का 1,83,666 करोड़ रुपए का बजट पेश किया। हालांकि उन्होंने इस बजट में कोई नया प्रमुख कर नहीं लगाया, लेकिन 5,998 करोड़ रुपए के राजस्व अधिशेष और 783 रुपए का कुल अधिशेष बजट पेश किया। पटेल के पास वित्त विभाग भी है।
बजट पेश करने के दौरान विपक्षी कांग्रेस के सदस्यों ने सदन में हंगामा किया और मूंगफली की फसल के लिए घोषित समर्थन मूल्य का विरोध किया और आरोप लगाया कि सरकार ने किसानों को बहुत कम दिया है।
विधानसभा अध्यक्ष राजेंद्र त्रिवेदी, मुख्यमंत्री विजय रूपानी और नितिन पटेल द्वारा बार-बार किए गए अनुरोध को अनसुना करते हुए विपक्षी सदस्यों ने बजट पेश करने के दौरान सदन से बर्हिगमन किया। इससे पहले, अध्यक्ष ने विपक्षी विधायक हर्षद रीबाबिया को निलंबित कर दिया, जो अपनी अध्यक्ष की कुर्सी की ओर भागते हुए सदन में मूंगफली फेंक रहे थे।
वित्तमंत्री के बजट भाषण के दौरान विपक्षी बेंच खाली रहे। कांग्रेस के विधायकों ने शिकायत की थी कि कृषि क्षेत्र के लिए 6,755 करोड़ रुपये के बजटीय आवंटन में सरकार ने किसानों के खिलाफ पक्षपात किया है।
बजट में शिक्षा क्षेत्र के लिए अधिकतम 27,500 करोड़ रुपए का आवंटन किया गया है, इसके बाद नर्मदा और जल संसाधन विभाग को 14,895 करोड़ रुपए आवंटित किया गया। स्वास्थ्य और परिवार विभाग को 9,750 करोड़ रुपए का आवंटन और सड़कों और इमारतों के लिए 9,252 करोड़ रुपए का आवंटन किया गया है। जलवायु परिवर्तन विभाग के लिए 103 करोड़ रुपए का न्यूनतम खर्च रखा गया है।
कांग्रेसी विधायकों के बर्हिगमन के बाद, वित्तमंत्री ने अपने तीन घंटे के बजट भाषण को जारी करते हुए कहा कि हाल ही में संपन्न हुए विधानसभा चुनावों में कांग्रेस हार नहीं पाई है, इसलिए राज्य के विकास के रास्ते में बाधाएं पैदा कर रही हैं।
मूंगफली के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कांग्रेस के आरोप पर, पटेल ने दावा किया कि कांग्रेस ने न्यूनतम समर्थन मूल्य कभी नहीं दिया जो उनकी पार्टी ने प्रदान की है।
विपक्ष के नेता परेश धनानी ने सदन से बर्हिगमन के बाद संवाददाताओं से कहा कि भाजपा ने अपने 22 साल के शासन के बावजूद गरीबों, दलितों, किसानों और ग्रामीण इलाकों का विकास करने में नाकाम रही है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार महज त्योहारों और आयोजनों पर करोड़ों रुपये बरबाद कर रही है।