Warning: Constant WP_MEMORY_LIMIT already defined in /www/wwwroot/sabguru/sabguru.com/18-22/wp-config.php on line 46
'कोरोना-कर्फ़्यू' के बीच बस एक तिहाई समय में ही पूरी हो गई रथ-यात्रा - Sabguru News
होम Gujarat Ahmedabad ‘कोरोना-कर्फ़्यू’ के बीच बस एक तिहाई समय में ही पूरी हो गई रथ-यात्रा

‘कोरोना-कर्फ़्यू’ के बीच बस एक तिहाई समय में ही पूरी हो गई रथ-यात्रा

0
‘कोरोना-कर्फ़्यू’ के बीच बस एक तिहाई समय में ही पूरी हो गई रथ-यात्रा

अहमदाबाद। गुजरात में अहमदाबाद के ऐतिहासिक भगवान जगन्नाथ मंदिर की सालाना रथ यात्रा को इस बार कोरोना महामारी के चलते सरकारी आदेश पर आज कर्फ़्यू के बीच निकाला गया और यह इस बार मात्र लगभग चार घंटे यानी एक तिहाई समय में ही पूरी हो गई जबकि सामान्य वर्षों में इसमें 12 से 14 घंटे का समय लगता है।

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने हर साल की तरह इस बार भी सुबह चार बजे सपरिवार मंगला आरती में भाग लिया। इसके बाद क़रीब सात बजे रथों की रवानगी से पहले पहले मंदिर में सोने की झाड़ू लगाने की पहिंद विधि मुख्यमंत्री विजय रूपाणी और उप मुख्यमंत्री नितिन पटेल ने की। पूरी यात्रा कोरोना प्रोटकाल के अनुरूप आयोजित हुई।

क़रीब 14 किमी लम्बे रथ यात्रा मार्ग पर पुलिस और अर्धसैनिक बलों की व्यापक व्यवस्था और तैनाती थी। 15 ड्रोन कैमरे और सीसीटीवी के ज़रिए भी निगरानी की जा रही थी। रथ यात्रा क़रीब चार घंटे में ही अपराह्न 11 बजे निज मंदिर वापस लौट आई। इस दौरान कही कोई अप्रिय घटना नहीं हुई।

ज्ञातव्य है कि राज्य सरकार ने इस बार कई शर्तों के साथ निकालने की मंज़ूरी दी थी। इससे पूर्व हर साल की तरह कौमी एकता की शानदार मिसाल पेश करते हुए कल स्थानीय मुस्लिम समुदाय के नेताओं ने मंदिर के महंत को चांदी से बना रथ का मॉडल सौंपा था।

ओड़िशा की पुरी की रथ यात्रा का बाद देश में दूसरी सर्वाधिक इस रथ यात्रा के 143वें वार्षिक संस्करण का पिछले साल कोरोना के चलते गुजरात हाई कोर्ट के आदेश के मद्देनजर विधिवत आयोजन नहीं हो सका था। तब केवल मंदिर परिसर में ही रथ यात्रा का सांकेतिक आयोजन भर किया गया था।

144वीं रथ यात्रा के आज के आयोजन के दौरान क़रीब 14 किमी लम्बे यात्रा मार्ग के पूरे इलाक़े में यानी सात थाना क्षेत्रों में कर्फ़्यू रहा। इस दौरान प्रसाद वितरण नहीं हुआ। रथयात्रा में भगवान जगन्नाथ, बड़े भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के तीन रथनुमा वाहन और मंदिर महंत का वाहन समेत केवल पांच वाहन ने ही भाग लिया।

इस दौरान ट्रकों, भजन मंडलियों, अखाड़ाओं, हाथी आदि को भाग लेने की अनुमति नहीं थी। रथ को खींचने वाले खलासियों के लिए पूर्ण में कम से कम टीके की एक डोज़ और अधिकतम 48 घंटे पुराना नेगेटिव कोरोना आरटी पीसीआर रिपोर्ट लाना अनिवार्य था।

ज्ञातव्य है कि गुजराती कैलेंडर के हिसाब से आषाढी बीज यानी आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की दूसरी तिथि को निकलने वाली अहमदाबाद की रथ यात्रा में आम दिनों में लाखों श्रद्धालु शिरकत करते हैं। यात्रा पुराने शहर के जमालपुर स्थित मंदिर से अहले सुबह निकल कर सरसपुर में भगवान के मौसी के घर जाती है और दोपहर को वह थोड़ी देर विश्राम (जब वह लाखों लोगों को भोजन जैसा प्रसाद दिया जाता है) के बाद देर शाम तक वापस लौटती है।

इस दौरान लाखों लोगों का हुजूम सड़क पर रहता है। यात्रा मार्ग के साम्प्रदायिक रूप से बेहद संवेदनशील होने के कारण सुरक्षा के लिए हज़ारों पुलिसकर्मियों और अर्धसैनिक बलों की तैनाती भी की जाती है। पूर्व में रथ यात्रा के दौरान साम्प्रदायिक हिंसा की भी घटनाएं होती रही हैं।

कोरोना की सम्भावित तीसरी लहर को टालने के लिए इस बार पूरी यात्रा गिने चुने लोगों की मौजूदगी में सम्पन्न हुई। वडोदरा समेत कई अन्य स्थानों पर भी रथ यात्राओं का इसी तरह कर्फ़्यू के बीच आयोजन किया गया।