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Gulab Chand Kataria grew hard in Udaipur - राजस्थान चुनाव : उदयपुर में गुलाब कटारिया की मुश्किल बढ़ी - Sabguru News
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राजस्थान चुनाव : उदयपुर में गुलाब कटारिया की मुश्किल बढ़ी

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राजस्थान चुनाव : उदयपुर में गुलाब कटारिया की मुश्किल बढ़ी
Gulab Chand Kataria grew hard in Udaipur
Gulab Chand Kataria grew hard in Udaipur
Gulab Chand Kataria grew hard in Udaipur

उदयपुर। राजस्थान चुनाव में उदयपुर शहर की सीट पर भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता और राज्य के गृहमंत्री गुलाब चंद कटारिया के सामने कांग्रेस की दिग्गज नेता गिरजा व्यास के उतरने से यहां का सियासी समीकरण दिलचस्प हो गया है और भाजपा के लिए यह सीट बेहद मुश्किल हो गई है।

इस सीट पर बने सियासी समीकरणों पर नजर डालें तो यहां से लगातार चौथी बार चुनावी मैदान में ताल ठोक रहे कटारिया कई ओर से घिरते नजर आ रहे हैं। कांग्रेस की ओर से गिरजा व्यास तो चुनौती दे ही रही हैं, उनके अलावा मैदान में मौजूद दो और उम्मीदवार भी मुश्किलें पैदा करते नजर आ रहे हैं। इनमें एक बड़ा नाम दलपत सुराणा का है।

सुराणा कभी भाजपा का हिस्सा हुआ करते थे। सुराणा यहां से जनता सेना से चुनाव लड़ रहे हैं। उल्लेखनीय है कि जनता सेना उसी पूर्व भाजपा नेता रणधीर सिंह भिंडर ने बनाई है, जो कटारिया के विरोधी माने जाते थे।

जनता सेना हालांकि पांच साल पहले ही बनी है लेकिन बहुत कम समय में इसने उदयपुर संभाग में अपनी ठीक-ठाक पकड़ बना ली है। इसके कई उम्मीदवारों का नगर निगम और पंचायतों में अच्छा प्रदर्शन रहा था। मजे की बात है कि सुराणा भी उसी जैन समुदाय से आते हैं जिससे कटारिया आते हैं।

कटारिया के लिए बड़ी चुनौती निर्दलीय के रूप में मैदान में मौजूदा युवा चेहरा प्रवीण रतालिया भी माने जा रहे हैं। भैरो सिंह शेखावत विचार मंच से जुड़े रतालिया एक सामाजिक कार्यकर्ता हैं। उन्होंने यहां काफी काम किया है और वह लोकप्रिय भी हैं।

आम लोगों में हालांकि कटारिया की छवि एक ईमानदार नेता की है लेकिन अपनी तीखी जुबान के चलते वह अपने लिए विरोधी खड़े करते रहे हैं। पिछले दिनों उनका बयान ‘तो अपना वोट कुएं में डाल दो’ काफी चर्चित हुआ था, जिससे लोगों में काफी नाराजगी बढ़ गई थी।

उदयपुर की सियासी समीकरण पर गहरी पैठ रखने वाले जानकारों का कहना है कि जहां कांग्रेस का कमजोर संगठन उसके लिए मुश्किल खड़ी करता दिख रहा है वहीं भाजपा अपने बूथ मैनेजमेंट को लेकर काफी मजबूत है।

कटारिया ने कहा कि वह अपनी जीत को लेकर पूरी तरह आश्वस्त हैं और पिछले चुनाव से अधिक मतों से जीतेंगे। क्षेत्र के विकास में कोई कसर नहीं छोड़ी है इसलिए उन्हें उम्मीद है कि उनकी जीत आसानी से होने वाली है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय हित उनके लिए सर्वोपरी है। प्रदेश की जनता सरकार के कामकाज से खुश है और राज्य में भाजपा की सरकार बनने जा रही है।

वहीं गिरजा व्यास ने यूनीवार्ता से बातचीत में कहा कि उन्होंने कटारिया को दो बार पहले भी चुनाव में हरा चुकी है और इस बार भी हराएंगी। वसुंधरा सरकार का कुशासन लोगों के समक्ष उजागर हो चुका है। राज्य में पर्यटन के क्षेत्र में घोटाला हुआ, स्मार्ट सिटी के नाम पर घोटाला हुआ है।

मौजूद सरकार ने प्रदेशवासियों को सिर्फ बेवकूफ बनाने का काम किया है। राजस्थान की जनता ने वसुन्धरा सरकार को उखाड़ फेंकने का मूड बना चुकी है और कांग्रेस पार्टी में अपना भविष्य देख रही है। उन्होंने कहा कि राज्य में कांग्रेस भारी बहुमत से सरकार बनाने जा रही है।

उदयपुर शहरी विधानसभा क्षेत्र में करीब 2,40,000 हजार मतदाता हैं जिसमें जैन समुदाय के 45,000 वोट है। इसी प्रकार ब्राह्मण 40,000, मुस्लिम और वोहरा 32,000, राजपूत 10,000, अनुसूचित जाति 20,000, अनुसूचित जनजाति 15,000, सिंधी 10,000 तथा पिछड़ी जाति के 40,000 वोट हैं।

जैन समुदाय से दो अन्य उम्मीवारों के चुनावी मैदान होने से कटारिया को अपने समुदाय का मिलने वाला एकमुश्त वोट में भी सेंध लगने की आशंका है। कटारिया की जैन समुदाय में लोकप्रियता अधिक है लेकिन वोटों के विभाजन को रोकना मुश्किल लग रहा है। इसके अलावा प्रदेशभर के राजपूतों ने भाजपा के खिलाफ मतदान करने की अपील की है।

कटारिया को मिलने वाला ब्राह्मणों का पारंपरिक वोट सीधे गिरजा ब्यास को जाने से उनकी सीट अधर में लटकती नजर आ रही है। अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति भी सरकार से नाराज है। इन दोनों समुदायों से पहले भी भाजपा को कम वोट मिलते रहे हैं। जहां तक पिछड़ी जाति के वोटों का सवाल है तो इस पर भाजपा और कांग्रेस दोनों ने बराबरी बना रखी है।

सिंधी वोट भी भाजपा का पारंपरिक वोट रहा है लेकिन इस समुदाय के लोग भी कटारिया के व्यवहार से खासे नाराज है। उदयपुर के जातीय समीकरण से यह बात साफ हो गई है कि यह चुनाव में कटारिया जैसे दिग्गज के लिए मुश्किल भरा रहने वाला है।

वहीं गिरीजा व्यास को ब्राह्मणों का एकमुश्त वोट मिलने के अलावा मुस्लिम और दलित वोटों के मिलने के आसार है। कांग्रेस को राजपूतों का भी वोट मिलने जा रहा है।

गौरतलब है कि उदयपुर शहरी विधानसभा सीट पर 11 उम्मीवार चुनावी मैदान में है लेकिन जातीय समीकरण और वोटों के विभाजन के कारण भाजपा के लिए यह सीट फंसती हुई नजर आ रही है। राज्य के 200 में से 199 सीटों पर सात दिसंबर को मतदान है और 11 दिसम्बर को मतगणना होगी। चुनाव से पहले अलवर जिले के रामगढ़ सीट पर बसपा प्रत्याशी की हृदयाघात से मौत हो गई थी जिसके बाद अब उस सीट पर चुनाव फिलहाल के लिए रद्द कर दिया गया है।