Warning: Constant WP_MEMORY_LIMIT already defined in /www/wwwroot/sabguru/sabguru.com/18-22/wp-config.php on line 46
गुरु तो सदा ही श्रद्धा से पूजे जाएंगे
होम Headlines गुरु पूर्णिमा विशेष : गुरु तो सदा ही श्रद्धा से पूजे जाएंगे

गुरु पूर्णिमा विशेष : गुरु तो सदा ही श्रद्धा से पूजे जाएंगे

0
गुरु पूर्णिमा विशेष : गुरु तो सदा ही श्रद्धा से पूजे जाएंगे

guru purnima 2018 date

(Tuesday, 16 July, Guru Purnima 2019 in India, Date may vary.)

सबगुरु न्यूज। इस संसार में जब मानव जन्म लेता है तो वह केवल मांस का लोथडा होता है। समाज की संस्कृति में पल कर वह शनैः शनैः ज्ञान की प्राप्ति करता है। इस ज्ञान की प्राप्ति में उसका पहला साक्षात्कार मां या उसकी परवरिश करने वाले से होता है।

बस जमीनी स्तर पर इसी चरण से गुरू शब्द के ज्ञान का भान होने लगता है। मां या परवरिश करने वाला जन्म लेने वाले मांस के जीव को ज्ञान की संस्कृति का भान कराता है और इस जगत का पहला गुरू बन जाता है।

धार्मिक और आध्यात्मिक जगत से दूर जमीनी हकीकत यही होती है कि मानव समाज की संस्कृति में पलकर ज्ञान को पहली बार मां या परवरिश करने वाले से ही सीखता है और द्वितीय समूह के रूप मे वो शिक्षण संस्थानों में व बाहरी लोगों से ज्ञान को गति के मार्ग पर बढाता है।

जन्म से मृत्यु तक व्यक्ति हर बार सीखता ही रहता है और उसके स्वयं के सामाजीकरण की प्रक्रिया सदैव जारी रहती है। ज्ञान की इसी धारा में धार्मिक व आध्यात्मिक गुरुओं का नाम सबसे ऊपर पहुंच जाता है और वे पूजनीय बन जाते हैं।

जीव व जगत के दर्शन की वे व्याख्या कर मानव को आत्म मंथन के प्रेरित करते हैं और सकारात्मक ऊर्जा से इच्छित फल की प्राप्ति का मार्ग बताते हुए जगत के कल्याण के मार्ग की ओर ले जाते हैं।

संत जन कहते हैं कि हे मानव शरीर में बैठी यह आत्मा जो हृदय को धड़कने देती रहती है व स्वयं प्रकाशित होकर मन के जरिए इस शरीर को अपने गुणों अवगत कराती है। पंच महाभूत, पंच ज्ञान इन्द्रियों और पंच कर्म इन्द्रियों तथा सोहलवा मन इस आत्मा के प्रकाश से जाग्रत हो कर संसार में व्यवहारिक ज्ञान को सीखता है और मानव अपने इस जगत की यात्रा को पूरी करता है।

हे मानव इस शरीर में जाग्रत यह आत्मा, हर बार मन को ज्ञान के सागर में झकझोरती है और मन पर चढी मैली चादर को धोती है।

इसलिए हे मानव तू अपने अपने मन में विराजी आत्मा को गुरू मान कर इस मन को व्यवस्थित कर। भले ही यह दुनिया तुझ पर लांछन लगाए। मन जब तक व्यवस्थित नहीं होगा तब तक हर ज्ञान का प्रकाश अधूरा ही रहेगा।

सौजन्य : भंवरलाल