अजमेर। पुष्कर विधायक रावत ने जैन सन्त सुदर्शन लाल, महाराज सा गुलाब दास आश्रम के संत राजाराम महाराज, रामद्वारा के जगदीश महाराज, रामसखा आश्रम के नंदराम शरण, बालमुकन्द आश्रम के सनत आचार्य, वामदेव आश्रम के मधुसूदनाचार्य, दिव्य मुरारी बापू की पद वंदना व माल्यार्पण कर, शॉल ओढ़ाकर तथा श्रीफल व गुरू दक्षिणा भेंट कर शुभाशीर्वाद प्राप्त किया।
पुष्कर ननगर पालिका अध्यक्ष कमल पाठक, मंडल अध्यक्ष पुष्कर नारायण भाटी, महामंत्री अरूण वैष्णव व पार्षद रोहण बाकोलिया ने भी विधायक रावत के सान्निध्य में गुरु आशीर्वचन प्राप्त किए।
विधायक रावत ने बताया कि गुरु पूर्णिमा आत्म-बोध की प्रेरणा का शुभ त्योहार है। यह त्योहार गुरु-शिष्य के आत्मीय संबंधों को सचेतन व्याख्या देता है। काव्यात्मक भाषा में कहा गया है- गुरु पूर्णिमा के चांद जैसा और शिष्य आषाढ़ी बादल जैसा। गुरु के पास चांद की तरह जीए गए अनुभवों का अक्षय कोष होता है। इसीलिये इस दिन गुरु की पूजा की जाती है इसलिए इसे ‘गुरु पूजा दिवस’ भी कहा जाता है।
गुरु ही अन्तरात्मा के बंद द्वार खोलता है। मां-पिता का ज्ञान प्राथमिक व व्यवहारिक ज्ञान है, गुरु द्वारा दिया गया ज्ञान जीवन को सही दिशा प्रदान करता है। वह भीतर के अंधकार को दूर कर उसे प्रकाशित करता है। लेकिन धन-लोलुप अज्ञानी और पाखंडी गुरुओं से हमें सदा सावधान रहना चाहिए।
कहावत है कि पानी पीजै छान और गुरु कीजै जान। सच्चा गुरु ही भगवान तुल्य है। इसीलिए कहा गया है कि गुरु-गोविंद दोऊ खड़े काके लागूं पांय, बलिहारी गुरु आपनो जिन गोविंद दियो मिलाय। यानी भगवान से भी अधिक महत्व गुरु को दिया गया है।
यदि गुरु रास्ता न बताए तो हम भगवान तक, अपने लक्ष्य तक नहीं पहुंच सकते। अतः सच्चा गुरु मिलने पर उनके चरणों में सब कुछ न्यौछावर कर दीजिए। गुरु-पूर्णिमा की सार्थकता है। साथ ही नक्कालो से सावधान भी रहिए।