नई दिल्ली। पद छोड़ने की घोषणा कर चुके सरकार के मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यन ने केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली की तारीफ करते हुए उन्हें ‘ड्रीम बॉस’ और सीईए के काम को ‘सर्वश्रेष्ठ जॉब’ बताते हुए कहा कि कोई भी श्रेष्ठ काम कुछ आलोचनाओं के बगैर नहीं हो सकता है।
जेटली के अपने फेसबुक पोस्ट में सुब्रमण्यन के पद छोड़ने की इच्छा व्यक्त करने की घोषणा के बाद सीईए ने यहां संवाददाताओं से चर्चा में कहा ‘यह उनका सर्वश्रेष्ठ जॉब था और रहेगा।’ उन्होंने यह भी कहा कि वह कार्यकाल के बाद भी देश की सेवा को प्रतिबद्ध हैं।
उन्होंने अपने कार्यकाल की कोई निर्धारित अंतिम तिथि बताए बगैर कहा कि वह एक या दो महीने में वित्त मंत्रालय से विदाई लेंगे। सरकार के शीघ्र ही उनके उत्तराधिकारी की तलाश शुरू करने की उम्मीद है।
सुब्रमण्यन को 16 अक्टूबर, 2014 को वित्त मंत्रालय में मुख्य आर्थिक सलाहकार नियुक्त किया गया था। उनकी नियुक्ति तीन साल के लिए हुई थी। पिछले वर्ष सितंबर में उनका कार्यकाल एक साल के लिए बढ़ाया गया था।
अपने कार्यकाल को लेकर उन्होंने कहा कि आप मुझे अच्छा सीईए या बुरा सीईए कह सकते हैं, लेकिन आलसी या निष्क्रिय नहीं। कार्यकाल की उपलब्धियों को लेकर उन्होंने वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) और उनके द्वारा लिखित आर्थिक सर्वेक्षण का भी जिक्र किया। जीएसटी में कुछ बदलाव की सलाह देते हुये उन्होंने कहा कि इसमें शराब को भी शामिल किया जाना चाहिए।
पीटरसन इंस्टीट्यूट ऑफ इंटरनेशनल इकोनॉमिक्स के वरिष्ठ फेलो सुब्रमण्यन ने वैश्विक स्तर पर हाे रहे आर्थिक विकास पर किताब लिखने की इच्छा व्यक्त करते हुए कहा कि सितंबर में वह दादा बनने वाले हैं और इसके लिए उन्हें अपने परिवार को समय देने की जरूरत है। इसकी वजह से उन्होंने अपना पद छोड़ने की इच्छा जताई थी।
इससे पहले जेटली ने फेसबुक पोस्ट में कहा कि मुख्य आर्थिक सलाहकार पारिवारिक प्रतिबद्धताओं की वजह से अमरीका लौटना चाहते हैं। उनके कारण व्यक्तिगत हैं, लेकिन उनके लिए काफी महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने लिखा है कि सुब्रमण्यन ने कुछ दिनों पहले वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये उनसे अमरीका जाने की इच्छा जताई थी। उन्होंने पद छोड़ने को लेकर पारिवारिक कारणों का हवाला दिया था। वह बगैर किसी विकल्प के पद छोड़ रहे हैं, लेकिन उनके निर्णय से सहमत होना होगा।
मुख्य आर्थिक सलाहकार का प्रमुख काम वित्त मंत्री को वृहद अर्थव्यवस्था के मामलों में सलाह देना होता है और उनकी प्रमुख जिम्मेदारियों में आर्थिक सर्वेक्षण और अर्द्धवार्षिक आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट तैयार करना भी शामिल होता है।
सुब्रमण्यन से पहले रघुराम राजन सितंबर 2013 तक इस पद पर तैनात थे। राजन ने रिजर्व बैंक का गर्वनर नियुक्त किए जाने के बाद इस पद से इस्तीफा दे दिया था।