बिजली बिल माफी, बढ़ी हुई बिजली दरें वापस लेने, किसान कर्जमाफी, लम्बित भर्तियां पूरी करने, बेरोजगारी भत्ता जारी रखने सहित विभिन्न जनहित के मुद्दों को लेकर श्वेत पत्र जारी करें मुख्यमंत्री गहलोत। किसान आंदोलन के दौरान मुख्यमंत्री के गृह क्षेत्र में युवा नेता पुखराज की मौत मुख्यमंत्री एवं कांग्रेस सरकार पर सवालिया निशान खड़ा करती है। वादा पूरा नहीं करना था तो राहुल गांधी और अशोक गहलोत ने किसानों से कर्जा माफी करने के सपने क्यों दिखाए।
जयपुर। मुख्यमंत्री के गृह जिले जोधपुर में बीते 25 दिनों से किसानों की मांगों को लेकर किसान संघ का अनवरत आंदोलन चल रहा है। प्रदेशभर में ही किसान परेशान है। किसानों की मुख्य मांगे हैं कि कोरोना काल के दौरान बिजली के बिलों में माफी, पूववर्ती सरकार किसानों को 833 रूपए प्रतिमाह 10 हजार रूपए सालाना अनुदान देती थी, इस सरकार ने आते ही उस अनुदान को बंद किया। यह बात शनिवार को भारतीय जनता पार्टी प्रदेश कार्यालय में प्रदेशाध्यक्ष डाॅ. सतीश पूनियां ने पत्रकारों से वार्ता के दौरान कही।
पूनियां ने कहा कि औंसियां में हमारे पूर्व संसदीय सचिव भैराराम सियोल के नेतृत्व में एक बड़ा आंदोलन हुआ और 23 तारीख को व्यापक लाॅकडाउन में 1500 किसानों ने ट्रेक्टर-ट्राॅली के साथ प्रदर्शन किया। उन्होंने कहा कि ये अलग बात है कि उन पर महामारी अधिनियम का मुकदमा बना, लेकिन उस आंदोलन की एक बड़ी चर्चा और बड़ा असर उस क्षेत्र में हुआ।
बीती रात किसान संघ के इस आंदोलन में जोधपुर के माणकलाव में जो धरना चल रहा था, वहां युवा नेता पुखराज की धरना स्थल पर तबीयत बिगड़ी और अस्पताल में उसकी मौत हो गई। उन्होंने कहा कि सरकार क्या कहेगी, क्या करेगी यह दीगर बात है, लेकिन किसान आंदोलन के दौरान पुखराज की मौत मुख्यमंत्री के गृह क्षेत्र में सरकार पर और मुख्यमंत्री के आचरण पर सवालिया निशान खड़े करती है।
केवल यही नहीं पिछले दिनों लगातार क्रमिक रूप से तीन आत्महत्याएं पहली चांदरक के शेरसिंह ने नाड़ी में कूदा, जो कि कर्जे से तंग था। दूसरी नेवरा के किसान मोटाराम ने कर्जे से तंग आकर जीवन समाप्त कर लिया और तीसरी नेवरा रोड के जगदीश ने भी इसी तरीके से आत्महत्या की। ये आत्महत्याएं और इस तरीके से मौतें, ये राजस्थान की सरकार को, राजस्थान के मुखिया को, वो शायद शर्मिन्दा नहीं करती होंगी, लेकिन उनको विस्मृति नहीं हो जाए, इसलिए मुझे इन मुद्दों से सरकार को अवगत कराने के लिए विवश होना पड़ा।
पूनियां ने कहा कि कांग्रेस के राष्ट्रीय नेता राहुल गांधी और अशोक गहलोत ने विधानसभा चुनाव के दौरान बार-बार किसानों से वादा किया था कि हमारी सरकार आएगी तो हम किसानों का पूरा कर्जा माफ करेंगे। उन्होंने कहा कि जिन किसानों ने आत्महत्या की है, ये वो सब लोग हैं जिन पर केसीसी का, सहकारी बैंकों का इस तरीके का कर्जा था, ऐसे ही बड़ी संख्या में किसान है, जो बैंकों के कर्ज तले दबे है।
मैं साहूकार के कर्जे की बात नहीं कर रहा और ये कांग्रेस के नेताओं ने कहा कि सत्ता में आते ही 10 दिन में किसानों का कर्ज माफ कर देंगे। ये बार-बार विस्मृत हो जाते हैं और केवल यही नहीं श्रीगंगानगर के एक किसान जगदीश ने जब आत्महत्या की, उसने तो बाकायदा वीडियो में मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री का नाम लिया, मेरी मौत के दोषी ये है। और अभी भी 20 महीनों बाद भी अपने जन घोषणा-पत्र पर ये सरकार कायम नहीं है।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार अपने जन घोषणा-पत्र से यू-टर्न लेती है और यू-टर्न लेने की इनकी पुरानी आदत है, लेते रहें हमें कोई ऐतराज नहीं है, लेकिन भाजपा प्रतिपक्ष के नाते असंवेदनशील मुख्यमंत्री से ये जवाब मांगती है कि कम से कम राजस्थान का ठेका छोड़ दिया हो तो कम से कम जोधपुर पर तो मेहरबानी करते और इसलिए मैं साफतौर पर सरकार से मांग करता हूं कि आप में थोड़ी बहुत भी संवेदना बची हो तो किसानों के इस मुद्दे को गम्भीरता से लेते हुए समाधान का रास्ता निकालें, नहीं तो पूरे राजस्थान में किसान आंदोलन करेंगे।
डाॅ. पूनियां ने कहा कि राजस्थान में करोड़ों बिजली के उपभोक्ता इसमें आम उपभोक्ता हैं, इनमें किसान, छोटे व्यापारी, छोटे उद्योग चलाने वाले लोग भी शामिल हैं। लेकिन मुख्यमंत्री ने अभी तक एक शब्द भी नहीं कहा। उल्टे बिजली विभाग के मंत्री ने कहा कि बिजली बिलों को माफ करने एवं बढ़ी हुई बिजली दरों को वापस लेने की हमारी जिम्मेदारी नहीं है।
पूनिया ने कहा कि मुख्यमंत्री गहलोत में अगर थोड़ी भी ईमानदारी और संवदेनशीलता बची है तो किसानों और जनता से जो वादे किए थे उनको पूरा करने को लेकर और आगे का क्या रोड़मैप है इसको लेकर श्वेत पत्र जारी करना चाहिए। उन्होंने कहा कि जब चुनाव लड़ा तो प्रदेश के किसान और जनता से वादे क्यों किए, जो आज 20 महीने बाद भी पूरे नहीं हुए।
डाॅ. पूनियां ने कहा कि अपनी मांगों को लेकर आंदोलनों के दौरान जिन किसानों की मौत हो गई और किसानों ने आत्महत्याऐं की उनके लिए सरकार ने क्या किया और एक-एक लाख रूपए का मुआवजे के नाम पर प्रलोभन देकर केवल मात्र लीपापोती की। राजस्थान का किसान भोला है, शरीफ है, मर्यादित है, लेकिन अब पानी सिर से ऊपर जा चुका है। अब प्रदेश का किसान अपने हक के लिए राज्य सरकार से दो-दो हाथ करने के लिए तैयार है।
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री गहलोत अपनी सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं का गुणगान करते हैं, लेकिन जमीन पर कुछ नहीं है। अब जरूरत है कि मुख्यमंत्री योजनाओं को कागज से धरातल पर लाएं, जिससे किसानों का और आमजन का भला हो सके। राहुल गांधी और अशोक गहलोत ने विधानसभा चुनाव के दौरान किसानों से 10 दिन में कर्जा माफ करने का वादा किया था, जो आज तक भी पूरा नहीं हुआ।
ऐसी ही भर्तियों को लेकर, बिजली के बढ़ाए गए दामों को वापस लेने सहित विभिन्न वादे हैं। जो आज तक भी पूरे नहीं हुए हैं। इसलिए मेरी राज्य सरकार से मांग है कि जो घोषणा पत्र में जनता एवं किसानों से जो वादे किए उनको लेकर श्वेत पत्र जारी करें।
उन्होंने कहा कि प्रदेश की कानून व्यवस्था बिगड़ी हुई है, अपराधों बेतहाशा बढ़ोतरी हो रही है, एससी/एसटी एवं महिला से जुड़े अपराध भी तेजी से बढ़ रहे हैं, लेकिन सरकार अपराधों पर शिकंजा कसने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठा रही है।
कोरोना काल के 4 महीने के बिजली बिल माफी, सम्पूर्ण किसान कर्जमाफी, लम्बित भर्तियों को पूरा करने, बेरोजगारी भत्ता जारी रखने, कानून व्यवस्था को दुरूस्त करने और स्कूल फीस को लेकर कोई उचित रास्ता निकालने सहित भाजपा की राज्य सरकार से विभिन्न मांगे हैं, जिनको जनहित में पूरा करने की आवश्यकता है। डाॅ. पूनियां के साथ प्रेसवार्ता में प्रदेश महामंत्री एवं विधायक मदन दिलावर, सांसद रामचरण बोहरा, जयपुर शहर जिलाध्यक्ष सुनील कोठारी मौजूद रहे।