मुंबई। बॉलीवुड में नीतू सिंह को एक ऐसी अभिनेत्री के तौर पर शुमार किया जाता है जिन्होंने सत्तर और अस्सी के दशक में अपने बिंदास अंदाज और दमदार अभिनय से सिने प्रेमियों को दीवाना बनाया।
8 जुलाई 1958 को जन्मी नीतू सिंह को नृत्य में काफी रूचि थी। उनकी रूचि को देखते हुए उनकी मां राजी सिंह ने उसे प्रसिद्ध अभिनेत्री वैजयंती माला के नृत्य स्कूल में नृत्य सीखने की अनुमति दे दी। नृत्य सीखने के दौरान वैजयंती माला उनके नृत्य करने के अंदाज से काफी प्रभावित हुई और अपनी फिल्म सूरज में बाल कलाकार के रूप में काम करने की उनसे पेशकश की जिसे उन्होंने सहर्ष स्वीकार कर लिया।
साठ के दशक में नीतू सिंह ने कई फिल्मों में बाल कलाकार के रूप में अभिनय किया। इनमें 1968 में प्रदर्शित फिल्म दो कलियां खासतौर पर उल्लेखनीय है। इस फिल्म में उनकी दोहरी भूमिका को सिने प्रेमी शायद ही कभी भूल पायें। फिल्म में उन पर फिल्माया गीत बच्चे मन के सच्चे.. दर्शकों और श्रोताओं के बीच आज भी लोकप्रिय है।
नीतू सिंह ने अभिनेत्री के रूप में अपने सिने कैरियर की शुरूआत 1973 में प्रदर्शित फिल्म रिक्शावाला से की। इस फिल्म में उनके नायक के रूप में रणधीर कपूर थे। कमजोर पटकथा और निर्देशन के कारण फिल्म टिकट खिड़की पर असफल साबित हुई।
नीतू सिंह को प्रारंभिक सफलता दिलाने में निर्माता.निर्देशक नासिर हुसैन की 1973 में प्रदर्शित फिल्म यादों की बारात का अहम स्थान है। इस फिल्म में उन्हें एक छोटी सी भूमिका निभाने का अवसर मिला। फिल्म में उनपर फिल्माया गीत लेकर हम दीवाना दिल.. उन दिनों श्रोताओं के बीच क्रेज बन गया था। आज भी यह गीत श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर देता है।
यादों की बारात की सफलता के बावजूद नीतू सिंह फिल्म इंडस्ट्री में लगभग दो वर्ष मुंबई में संघर्ष करती रहीं। आश्वासन तो सभी देते लेकिन उन्हें अच्छी फिल्मों में काम करने का अवसर कोई नहीं देता था। इस बीच नीतू सिंह ने शतरंज के मोहरे, आशियाना और हवस जैसी बी और सी ग्रेड वाली फिल्मों में अभिनय किया लेकिन इन फिल्मों से उन्हें कोई खास फायदा नहीं पहुंचा।
वर्ष 1975 में प्रदर्शित फिल्म खेल खेल में मुख्य अभिनेत्री के रूप में नीतू सिंह के सिने कैरियर की पहली सुपरहिट फिल्म साबित हुई। इस फिल्म में उनके नायक की रूप में ऋषि कपूर थे। युवा प्रेम कथा पर आधारित इस फिल्म को दर्शकों के काफी पसंद किया। फिल्म की सफलता के साथ ही नीतू सिंह अभिनेत्री के रूप में फिल्म इंडस्ट्री में अपनी पहचान बनाने में कामयाब हो गई।
वर्ष 1975 में ही नीतू सिंह को दीवार और रफूचक्कर जैसी सुपरहिट फिल्मों में भी काम करने का अवसर मिला। फिल्म दीवार पूरी तरह अमिताभ बच्चन और शशि कपूर पर आधारित थी जबकि फिल्म रफूचक्कर में उन्हें एक बार फिर से ऋषि कपूर के साथ काम करने का अवसर मिला। युवा प्रेम कथा पर आधारित यह फिल्म भी टिकट खिड़की पर सुपरहिट साबित हुई।
नीतू सिंह की जोडी अभिनेता ऋषि कपूर के साथ काफी पसंद की गई। नीतू सिंह और ऋषि कपूर की जोड़ी सबसे पहले खेल खेल में पसंद की गई। बाद में इस जोडी ने रफूचक्कर, जहरीला इंसान, जिंदादिल, कभी कभी, अमर अकबर एंथनी, अनजाने, दुनिया मेरी जेब में, झूठा कहीं का, धन दौलत और दूसरा आदमी आदि फिल्मों में युवा प्रेम की भावनाओं को निराले अंदाज में पेश किया।
अस्सी के दशक में नीतू सिंह फिल्म इंडस्ट्री की चोटी की अभिनेत्रियों में शुमार की जाती थी। इस दौरान उन्हें कई फिल्मों में काम करने के लिए कई प्रस्ताव मिले लेकिन उन्होंने इन सभी प्रस्तावों को ठुकरा दिया और अभिनेता ऋषि कपूर से शादी करके फिल्म इंडस्ट्री को अलविदा कह दिया।
वर्ष 1982 में प्रदर्शित फिल्म ‘तीसरी आंख’ अभिनेत्री के रूप में नीतू सिंह की अंतिम फिल्म साबित हुई। नीतू सिंह ने कई फिल्मों में अपने दमदार अभिनय से दर्शकों का दिल जीता लेकिन दुर्भाग्य से वह किसी भी फिल्म के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के फिल्म फेयर से सम्मानित नहीं की गई। हालांकि 1979 में प्रदर्शित फिल्म ‘काला पत्थर’ के लिए उन्हें सवश्रेष्ठ सहायक अभिनेत्री के फिल्म फेयर पुरस्कार के लिए अवश्य नामांकित किया गया।
नीतू सिंह ने दो दशक लंबे सिने कैरियर में लगभग 60 फिल्मों मे काम किया। बहुमुखी प्रतिभा की धनी नीतू सिंह ने कई फिल्मों में कॉस्टयूम डिजाइनर के तौर पर भी काम किया। इन फिल्मों में नगीना, खोज, बड़े घर की बेटी, अमीरी गरीबी, श्रीमान आशिक, दरार आदि प्रमुख है। नीतू सिंह फिर से नए जोशो खरोश के साथ फिल्म इंडस्ट्री में सक्रिय हुई है। वर्ष 2013 में प्रदर्शित फिल्म ‘बेशर्म’ में नीतू सिंह ने अपने पुत्र रणबीर कपूर और पति ऋषि कपूर के साथ काम किया है।