नई दिल्ली। महिलाओं पर अभद्र टिप्पणी करने के मामले में ऑलराउंडर हार्दिक पांड्या और बल्लेबाज लोकेश राहुल को इस मामले में जांच पूरी होने तक निलंबित कर दिया गया है और वे ऑस्ट्रेलिया के शेष दौरे तथा न्यूजीलैंड के सीमित ओवरों के आगामी दौरे से भी बाहर हो सकते हैं।
भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड का संचालन देख रही प्रशासकों की समिति की महिला सदस्य डायना इडुल्जी ने दोनों क्रिकेटरों को अगली कार्रवाई तक निलंबित करने की सिफारिश की थी। सीओए ने दोनों खिलाड़ियों को इस घटनाक्रम की जानकारी देते हुए नए कारण बताओ नोटिस भेजे हैं। दोनों खिलाड़ी इस समय ऑस्ट्रेलिया में हैं।
पांड्या और राहुल की निलंबन अवधि की अभी कोई जानकारी नहीं है लेकिन समझा जाता है कि वे ऑस्ट्रेलिया के शेष दौरे तथा न्यूजीलैंड के सीमित ओवरों के आगामी दौरे से भी बाहर हो सकते हैं।
नए कारण बताओ नोटिस में दोनों क्रिकेटरों को कहा गया है कि आपको यह मालूम है कि इस मामले में आपके खिलाफ बीसीसीआई संविधान के नियम 41 के तहत जांच और कार्रवाई शुरू कर दी गई है जो अभी लंबित है।
नियम 41 (6) के तहत आपको तत्काल प्रभाव से बीसीसीआई, आईसीसी और किसी राज्य संघ से अधिकृत, आयोजित, स्वीकृत, मान्यता प्राप्त या सहयोग वाले टूर्नामेंट, मैच, कार्यक्रम या इवेंट और गतिविधि में भाग लेने से तब तक के लिए निलंबित किया जाता है जब तक इस मामले में आखिरी फैसला नहीं आ जाता।
सीओए के प्रमुख विनोद राय ने इससे पहले दोनों क्रिकेटरों पर दो वनडे का प्रतिबन्ध लगाने की सिफारिश की थी। डायना इडुल्जी ने बीसीसीआई के कानूनी प्रकोष्ठ से कानूनी सलाह लेने के बाद यह सिफारिश की है और साथ ही कहा है कि दोनों खिलाड़ियों को निलंबित करने की बात उन तक और टीम तक पहुंचा दी जानी चाहिए।
पांड्या और राहुल शनिवार को सिडनी में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ होने वाले पहले वनडे से बाहर किये जा चुके हैं। पांड्या ने हालांकि इस मामले में माफ़ी मांगी है लेकिन सीओए उन पर नरमी बरतने के मूड में कतई नहीं है और उसने उन्हें मामले का फैसला आने तक निलंबित कर दिया है। बीसीसीआई के कार्यवाहक सचिव अमिताभ चौधरी ने भी दोनों खिलाड़ियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की बात कही थी और उन्होंने इडुल्जी की सिफारिश का समर्थन किया है।
इडुल्जी ने बीसीसीआई के सीईओ राहुल जौहरी का उदाहरण देते हुए कहा कि जौहरी पर यौन शोषण के आरोप लगने के बाद उन्हें छुट्टी पर भेज दिया गया था। विनोद राय की दो वनडे का प्रतिबन्ध लगाने की सिफारिश के बाद इडुल्जी ने इस मामले को कानूनी सलाह के लिए बीसीसीआई के कानूनी प्रकोष्ठ के पास भेज दिया था।
हालांकि लीगल फर्म सिरिल अमरचंद मंगलदास ने अपनी सलाह में कहा है कि पांड्या की टिप्पणी किसी तरह की आचार संहिता का उल्लंघन नहीं हैं क्योंकि उनका बयान किसी खिलाड़ी, मैच अधिकारी या फिर सपॉर्ट स्टाफ के खिलाफ नहीं था और यह मामला आचार संहिता के उल्लंघन के दायरे में नहीं आता।
इस बीच बीसीसीआई के एक अधिकारी का मानना है कि यह बेशक आचार संहिता के उल्लंघन का मामला नहीं बनता लेकिन इससे क्रिकेट बोर्ड की छवि को गहरी ठेस पहुंची है और टीम की संस्कृति ही संदेह के दायरे में आई है।
बीसीसीआई के सामने ऑस्ट्रेलिया का उदाहरण है जहां बॉल टेंपरिंग में दोषी पाए गए स्टीवन स्मिथ और डेविड वार्नर को आईसीसी ने एक टेस्ट के लिए निलंबित किया था लेकिन क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया ने दोनों पर 12 महीने का प्रतिबन्ध लगा दिया था।