सबगुरु न्यूज। अगस्त का महीना खूब सारे महत्वपूर्ण व्रत और त्योहार लेकर आता है। इस अकेले एक महीने को त्योहारों का महीना भी कहा जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार 1 अगस्त गुरुवार को हरियाली अमावस्या है जो बेहद खास मानी जाती है। सावन की अमावस्या स्नान-दान आदि करने के लिए बेहद शुभ मानी जाती है।
इस अमावस्या तिथि पर पितृ और उनसे जुड़े कर्मकांड किए जाने चाहिए क्योंकि इससे शुभ अवसर फिर कभी नहीं प्राप्त होगा। हमारे पितरों की आत्मा की शांति के लिए, सावन अमावस्या तिथि को शुभ माना जाता है। इस अमावस्या को हरियाली अमावस्या भी कहा जाता है क्योंकि इसके ठीक 3 दिन बाद हरियाली तीज आती है।
अमावस्या पर्व को हरियाली के आगमन के रूप में मनाया जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन पौधारोपण का कार्य विशेष रूप से किया जाता है। इस दिन हर किसी को किसी मंदिर या किसी बाहर कहीं एक नया पौधा जरूर लगाना चाहिए।
अमावस्या के दिन लोग पीपल के साथ-साथ तुलसी के पेड़ की भी पूजा करते हैं। धार्मिक ग्रंथों में ऐसा बताया गया है कि पेड़-पौधों में भगवान का वास होता है। जैसे पीपल में त्रिदेवों का वास और इसके साथ ही आंवले में भगवान लक्ष्मी नारायण का वास होता है।
पूजा विधि
इस अमावस्या पेड़-पौधों को नया जीवन प्राप्त होता है इसलिए सावन अमावस्या में पीपल के पेड़ की पूजा की जाती है और इसके फेरे लगाए जाते हैं। इसके बाद पीपल के पेड़ को मालपुए का भोग लगाया जाता है।
अमावस्या मेले, खास महत्व
अमावस्या के दिन कई शहरों में हरियाली अमावस्या के मेलों का भी आयोजन किया जाता है। इस कृषि उत्सव को सभी समुदायों के लोग आपस में मिलकर मनाते हैं। एक-दूसरे को गुड़ और धानी का प्रसाद देकर मानसून ऋतु की शुभकामना देते हैं। इस दिन अपने हल और कृषि यंत्रों का पूजन करने का रिवाज है। इस पर्व के ठीक 3 दिन बाद हरियाली तीज का पर्व भी आता है।