हाथरस। उत्तर प्रदेश के हाथरस में दरिंदगी की शिकार पीड़िता का बुधवार भोर परिजनों की मौजूदगी के बगैर अंतिम संस्कार कर दिया गया। पीड़िता के पिता का आरोप है कि जिला प्रशासन ने बेटी की अंतिम इच्छा पूरी नहीं होने दी।
पीड़िता का अंतिम संस्कार पुलिस के पहरे में तड़के करीब सवा तीन बजे किया गया हालांकि परिजनों और ग्रामीणों ने इसका पुरजोर विरोध किया। अंतिम संस्कार के समय कथित रूप से पीड़िता के परिजन मौजूद नहीं थे। पीड़िता के पिता का आरोप है कि जिला प्रशासन ने पुत्री की अंतिम इच्छा पूरी करने की अनुमति नहीं दी।
अश्रुपूरित नेत्रों से उन्होंने कहा कि पुत्री ने कहा था कि वह घर आना चाहती है। वह अपनी चोट के कारण नहीं जी सकी लेकिन हम प्रशासन के रवैये के कारण उसकी अंतिम ख्वाईश भी पूरी नहीं कर सके।
पीड़िता के भाई संदीप ने पत्रकारों से कहा कि जिला प्रशासन जल्दी में था और चाहता था कि पिता के पहुंचने से पहले अंत्येष्टि कर दी जाए। पीड़िता का शव पहुंचने के बाद कुछ ही देर बाद पिता गांव पहुंच गए थे।
उसने कहा कि बहन की अंत्येष्टि बगैर हमारी जानकारी के कर दी गई। पुलिस ने हमें कुछ नहीं बताया। हम शव को घर लाना चाहते थे लेकिन पुलिस वाले कुछ सुनने को तैयार नहीं थे। दिल्ली के सफदरगंज अस्पताल से शव को एंबुलेंस में लाया गया और मुख्य मार्ग पर रख दिया गया।
संदीप ने कहा कि प्रशासन ने शमशान की बत्तियां बुझा दी थी और हमसे अंतिम संस्कार के लिए दवाब बना रहा था। हम मध्य रात्रि में अंतिम संस्कार करना नहीं चाहते थे। हम बहन को घर लाना चाहते थे। कई वीडियो में भी दिख रहा है कि पीड़िता की मां आखिरी समय में शव को घर लाने की गुहार पुलिस अधिकारियों से कर रही है।
उधर, जिला प्रशासन का दावा है कि शव का अंतिम संस्कार परिजनों की मर्जी से किया गया है। ज्वाइंट मजिस्ट्रेट प्रेम प्रकाश मीणा ने पत्रकारों से कहा कि पीड़िता का अंतिम संस्कार कर दिया गया है। पुलिस प्रशासन पीड़िता को न्याय दिलाने और अपराधियों को कड़ी सजा दिलाने के लिए कटिबद्ध है। इस बीच हाथरस पुलिस ने रात करीब सवा दो बजे परिजनों की स्वीकृति के अनुसार अंतिम संस्कार किए जाने की पुष्टि की।