श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर की ग्रीष्मकालीन राजधानी श्रीनगर में मंगलवार को बसंत पंचमी के अवसर पर शीतल नाथ मंदिर में 31 वर्ष बाद विशेष पूजा-अर्चना की गई।
प्रवासी कश्मीरी पंडितों ने श्रीनगर शहर के पुराने हिस्से में क्राल खुद इलाके में स्थित शीतल नाथ मंदिर में इकट्ठा होकर पूजा और हवन किया। मंदिर के ट्रस्टी उपेंद्र हांडू ने दावा किया कि 90 के दशक में कश्मीरी पंडितों के घाटी से पलायन के बाद पहली बार इस मंदिर में बसंत पंचमी के मौके पर पूजा की गई। उन्होंने कहा कि यह श्रीनगर का एकमात्र मंदिर है जहां बसंत पंचमी के अवसर पर पूजा होती थी।
हांडू ने कहा कि यह मंदिर हमारे लिए बहुत खास है। हम 2010 से सरकार से इसकी मरम्मत की गुहार लगा रहे हैं, लेकिन अभी तक ऐसा कुछ नहीं हुआ है। हमने 2010 में और फिर 2018 में श्रीनगर में उपायुक्त कार्यालय से मदद मांगी थी लेकिन प्रशासन ने हमारे अनुरोधों पर कोई ध्यान नहीं दिया है।
उन्होंने कहा कि कश्मीर में कोरोना महामारी और सर्द मौसम के कारण प्रवासी कश्मीरी पंडित कम संख्या में पूजा में शामिल हो पाए। उन्होंने कहा कि हम गर्मियों में मंदिर में एक और हवन आयोजित करने की योजना बना रहे हैं और अच्छी संख्या में लोगों के इसमें शामिल होने की उम्मीद है।
बताया जाता है कि गैर-प्रवासी पंडितों के संगठन कश्मीरी पंडित संघर्ष समिति ने मंदिर में 2010 में ऐसा ही एक हवन आयोजित किया था, जिसे दो दशकों से अधिक समय तक बंद रहने के बाद फिर से खोला गया था।