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Health budget can be announced in the general budget - Sabguru News
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आम बजट में स्वास्थ्य क्षेत्र में हो सकता बड़ा ऐलान

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आम बजट में स्वास्थ्य क्षेत्र में हो सकता बड़ा ऐलान
Health budget can be announced in the general budget
Health budget can be announced in the general budget

नई दिल्ली। राजस्थान के कोटा सहित देश के कई राज्यों में सरकारी अस्पतालों में अत्याधुनिक चिकित्सा सुविधाओं की बड़ी कमी के मद्देनजर अगले वित्त वर्ष के बजट में इन अस्पतालों की स्थिति सुधारने की दिशा में बड़ा ऐलान हो सकता है।

इसके साथ ही सरकार से सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 2.5 प्रतिशत स्वास्थ्य पर व्यय करने के वादे को पूरा करने की अपील की गयी है। देश में 75 नये मेडिकल कॉलेज खोलने और मौजूदा मेडिकल कॉलेजों में छात्रों की संख्या में बढ़ोतरी कर चिकित्सकों की कमी दूर करने के निर्णयों के बाद सरकारी अस्पतालों के हालात सुधारना सरकार की प्राथमिकता में है। इसके साथ ही राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत राज्यों को सरकारी अस्पतालों में चिकित्सा सुविधायें उपलब्ध कराने के लिए वित्तीय मदद भी दी जा रही है।

विश्लेषकों का कहना है कि इस बार बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण सरकारी अस्पतालों की स्थिति में सुधार के लिए बड़ी योजना का ऐलान कर सकती हैं। मोदी सरकार आम लोगों को चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने को प्राथमिकता देती रही है और इसके लिए दो वर्ष पहले 10 करोड़ से अधिक गरीब परिवारों को पाँच लाख रुपये तक मुफ्त और कैशलेस उपचार मुहैया कराने के उद्देश्य से आयुष्मान भारत जैसी महत्वाकांक्षी योजना की घोषणा की गई थी।

अभी तक इस योजना के तहत 70 लाख से अधिक गरीबों का इलाज हो चुका है। इसके साथ ही 2022 तक आम लोगों की पहुँच में अत्याधुनिक जाँच सुविधाओं को लाने के लिए पूरे देश में डेढ़ लाख वेलनेस सेंटर खोलने का काम भी चल रहा है। लेकिन आयुष्मान भारत के तहत केवल गंभीर बीमारियों के इलाज की सुविधा है।

सरकार ने राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति में चिकित्सा बजट को जीडीपी का 2.5 प्रतिशत करने का वादा किया था। इसके मद्देनजर सरकार ने पिछले बजट में स्वास्थ्य आवंटन में बढ़ोतरी की थी लेकिन अभी भी यह आवंटन जीडीपी के एक प्रतिशत से भी कम है।

विश्लेषकों का कहना है कि प्राथमिक चिकित्सा के लिए अगले पाँच साल में देश में ढांचागत सुविधाएं उपलब्ध कराने के वास्ते पाँच लाख 38 हजार करोड़ रुपये की जरूरत पड़ेगी। देश में प्राथमिक चिकित्सा में आधारभूत ढाँचे का बेहद अभाव है। वेलनेस सेंटर के लिए आधारभूत संरचना तैयार करने, स्वास्थ्यकर्मियों की कमी दूर करने, राष्ट्रीय एंबुलेंस सेवा को सुचारू रूप से चलाने के साथ जाँच उपकरणों और दवाइयों के लिए बड़े पैमाने पर धन की जरूरत पड़ेगी।

देश में अस्पतालों का नेटवर्क संचालन करने वाले अपोलो हॉस्पिटल ग्रुप की प्रबंध निदेशक सुनीता रेड्डी ने कहा कि ‘स्वस्थ्य भारत’ हम सब की पहली प्राथमिकता होनी चाहिये। इसके लिए स्वास्थ्य क्षेत्र के आवंटन में बढोतरी की जानी चाहिए और सरकार को जीडीपी के 2.5 प्रतिशत आवंटन के अपने वादे को पूरा करना चाहिए। उन्होंने अस्पतालों को इंफ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र का दर्जा दिये जाने की वकालत करते हुये कहा कि इससे कम लागत में पूँजी मिल सकेगी।

उन्होंने कहा कि जहाँ तक पहुँच और बीमा का सवाल है – आयुष्मान भारत के तहत 50 करोड़ लोगों का कवर करने की बात है। किफायती श्रेणी में बीमा की पहुँच बहुत कम है। इसके मद्देनजर कुछ नवाचारी बीमा कार्यक्रम का ऐलान किये जाने की जरूरत है जिसमें नियोक्ता को अपने कर्मचारियों को तर्कसंगत कवर देने की प्रावधान हो। स्व रोजगार पेशेवरों के लिए स्वास्थ्य बीमा अनिवार्य बनाया जाना चाहिये और आयकर की धारा 80डी के तहत छूट की सीमा बढ़ायी जानी चाहिए।
सुश्री रेड्डी ने निजी स्वास्थ्य क्षेत्र को प्रोत्साहित किये जाने की आवश्यकता बताते हुये कहा कि देश में बिस्तर के हिसाब से निवेश किये जाने की जरूरत है।

उन्होंने कहा कि नयी चिकित्सा प्रौद्योगिकी में निवेश पर छूट दी जानी चाहिए। इसके साथ ही स्वास्थ्य इंफ्रास्ट्रक्चर प्रौद्योगिकी उन्नयन कोष का गठन किया जाना चाहिये और इसके तहत स्वास्थ्य इंफ्रा के उन्नयन में पूँजी निवेश पर सब्सिडी दी जानी चाहिए। उन्हाेंने कहा कि बजट में प्रिवेंटिव हेल्थ चेकअप के लिए भी अगल से 10 हजार रुपये की छूट दी जानी चाहिए।