जयपुर। राजस्थान के चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री डा रघु शर्मा ने भारतीय जनता पार्टी पर सहाड़ा विधानसभा उपचुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी लादूलाल पितलिया के नाम वापसी केे लिए भारी दबाव बनाने एवं गृह मंत्री अमित शाह के नाम से डराए जाने का आरोप लगाते हुए कहा है कि इस मामले में निर्वाचन आयोग को संज्ञान लेना चाहिए।
डा शर्मा ने आज यहां प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि पितलिया मामले में भाजपा सचेतक जोगेश्वर गर्ग एक बातचीत में कह रहे हैं कि गंगापुर से बेंगलूरु तक रंगड़कर रख देंगे। इतना खतरनाक तरीके से पितलिया पर दबाव बनाया गया और सारे अखबारों में छप रहा हैं लेकिन निर्वाचन आयोग इस मामले में मौन हैं और इस संबंध में कोई संज्ञान नहीं लिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि आज निष्पक्ष चुनाव की बात करना ही बेइमानी है। उन्होंंने कहा कि इस मामले में आयोग को संज्ञान लेना चाहिए।
उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि कर्नाटक के राजस्व मंत्री आर अशोका एवं राजसमंद से संबंध रखने वाले कर्नाटक में एमएलसी लहर सिंह ने पितलिया के कर्नाटक में स्थापित प्रतिष्ठानों के ताले लगावा दिए, पुलिस भेज दी और कहा गया कि उपचुनाव से नाम वापस ले लो, नहीं तो बर्बाद कर देंगे।
उन्होंने कहा कि बातचीत में यह भी सामने आया है कि पितलिया मामले में अमित शाह की भी नजर है। उनके नाम की धमकी भी दी जा रही है। उन्होंने कहा कि पितलिया को इतना दबाव में लिया गया कि उन्हें प्रेस के सामने नहीं आने दिया जा रहा है उन्हें धमकाया गया, जिसका प्रत्यक्ष उदाहरण वायरल ऑडियो हैं।
शर्मा ने कहा कि हम पर तो सीबीआई, इनकम टैक्स आदि के द्वारा प्रहार किया ही जा रहा था अब तो भाजपा के लोगों को भी नहीं छोड़ा जा रहा है। उन्होंने कहा कि राजसमंद में भाजपा दीप्ति माहेश्वरी को टिकट नहीं देना चाह रही थी और मजबूरी में उन्हें टिकट दिए जाने की बात भी सामने आ रही हैं।
भाजपा को खुलासा किया जाना चाहिए कि उसने किस मजबूरी में उन्हें टिकट दिया गया। उन्होंने कहा कि उपचुनाव में नामांकन से लेकर उसके बाद भी भाजपा की वरिष्ठ नेता एवं पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे कहीं नजर नहीं आ रही हैं जबकि कांग्रेस के सारे नेता एक साथ हैं। ऐसे में भाजपा अब दावा नहीं कर सकती कि वह अनुशासन वाली पार्टी हैं।
उन्होंने कहा कि भाजपा के नेता गुलाब चंद कटारिया एवं अन्य नेता बयान दे रहे हैं कि राज्य सरकार गिराएंगे, क्या यह भी अमित शाह के इशारे पर कर रहे हैं। इन लोगों को लोकतंत्र में यकीन नहीं हैं और निवार्चन आयोग खामोश हैं। आज देश की संस्थाएं अर्थहीन होती जा रही है।