नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने विश्वविद्यालयों में विभिन्न पाठ्यक्रमों की अंतिम वर्ष की परीक्षाएं 30 सितम्बर तक कराये जाने की अनिवार्यता संबंधी विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के दिशानिर्देशों को चुनौती देने वाली याचिकाओं की सुनवाई 31 जुलाई तक के लिए सोमवार को स्थगित कर दी।
न्यायमूर्ति अशोक भूषण, न्यायमूर्ति आर सुभाष रेड्डी और न्यायमूर्ति बीआर गवई की खंडपीठ ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता को यूजीसी की ओर से 29 जुलाई तक जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया। उस जवाब पर याचिकाकर्ता अगले दिन यानी 30 जुलाई को जवाब दाखिल कर सकते हैं।
खंडपीठ चार याचिकाओं की संयुक्त सुनवाई कर रही थी, जिनमें विभिन्न विश्वविद्यालयों के 31 छात्रों, विधि छात्र यश दुबे, युवा सेना नेता आदित्य ठाकरे और एक छात्र कृष्णा बाघमारे की एक-एक याचिका शामिल है। इन चारों याचिकाओं में गृह मंत्रालय के आदेश के मद्देनजर यूजीसी द्वारा जारी गत छह जुलाई को जारी अधिसूचना को रद्द करने की मांग की गयी है।
विधि छात्र यश दुबे की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी पेश हुए। उन्होंने पहले ही घोषणा कर दी थी कि वह इस मामले में लोक कल्याणार्थ (प्रो-बोनो-पब्लिको) बहस करेंगे। श्री सिंघवी ने दलील दी कि यूजीसी के दिशानिर्देश कठोर एवं अव्यावहारिक हैं। पश्चिम बंगाल और महाराष्ट्र सहित कई राज्यों की ओर से पेश वकीलों ने भी परीक्षाओं के आयोजन पर कड़ी आपत्ति जताई।
विभिन्न विश्वविद्यालयों के 31 छात्रों की ओर से पेश अधिवक्ता अलख आलोक श्रीवास्तव ने एक ही दिन में कोविड-19 के 50 हजार से अधिक मामलों का उल्लेख करते हुए न्यायालय से यूजीसी के दिशानिर्देशों पर रोक लगाने का आग्रह किया।