जयपुर। आस्ट्रेलिया के पूर्व किक्रेट खिलाडी ब्रेट ली ने नवजात शिशुओं में बहरेपन की बीमारी पर चिंता व्यक्त करते हुए इनके लिए सर्व समावेशी कार्यक्रम शुरू करने पर जोर दिया।
क्रिकेटर ब्रेट ली ने गुरुवार को पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि बहरेपन का उपाय संभव है और प्रारंभ के सालों में इसकी जांच कर उपचार किया जाए तो इस पर नियंत्रण पाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि हर व्यक्ति को जीवन का स्वर सुनने का अधिकार है और दुनिया में कोई भी व्यक्ति मूक बनकर जीवन जीने के लिए नही है।
उन्होंने कहा कि बहरापन व्यक्ति के सक्रिय एवं संपूर्ण जीवन जीने में बाधक हैं। कॉक्लियर के ग्लोबल हियरिंग एम्बेसेडर ब्रेट ली युनिवर्सल न्यूबोर्न हियरिंग स्क्रीनिंग (यूएनएचएस) के बारे में जागरूकता फैलाने यहां आए है।
उन्होंने विश्व स्वास्थ्य संगठन का हवाला देत हुए कहा कि विश्व की पांच प्रतिशत आबादी बहरेपन की समस्या से ग्रस्त है इनमें से 34 मिलियन बच्चे गंभीर बहरेपन की समस्या से पीडित है तथा भारत में प्रत्येक एक हजार शिशुओं में से चार शिशु हल्के से गंभीर बहरेपन की समस्या से पीडित है। उन्होंने कहा कि आंकडों के अनुसार राजस्थान में 2 लाख 18 हजार से अधिक व्यक्ति गंभीर श्रवण समस्या से पीडित है।
उन्होंने नवजात बच्चों के बहरेपन की समस्या से निजात पाने के लिए उनकी शीघ्र जांच कराने के साथ ही श्रवण यंत्रों का उपयोग करने की सलाह दी। उन्होंने बच्चों में बेहरेपन की समस्या के समाधान के लिए सर्व समावेशी कार्यक्रम चलाने पर जोर देते हुए कहा कि इसके लिए हमें देशभर में यूएनएचएस को अनिवार्य बनाने के लिए प्रयास करना चाहिए।
क्रिकेटर ब्रेट ली ने यूनिवर्सल न्यूबोर्न हियरिंग स्क्रीनिंग के लिए भारत के केरल में किए जा रहे प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि देश के प्रत्येक राज्य में ऐसे उपाय करने चाहिए। उन्होंने कहा कि केरल भारत का ऐसा पहला राज्य है जहां 66 सरकारी मैटर्निटी सेंटर्स में बच्चों के लिए श्रवण जांच की सुविधा प्रदान की है।
इसके तहत केरल सोशल सिक्योरिटी मिशन ने नवजात शिशुओं के रियल टाईम डेटा के लिए साफ्टवेयर तैयार किया है जिससे जांच के परिणामों को रिकॉर्ड किया जा सकता है और अन्य संस्थाओं जैसे डिस्ट्रिक्ट अर्ली इंटरवेंशन सेंटर्स तथा मेडिकल कालेजों के साथ साझा किया जा सकता है।
श्रवण स्वास्थ्य से जुडे प्रमुख विशेषज्ञ डा मोहनिश ग्रोवर ने कहा कि बच्चों की भाषा एवं वाक कौशल का विकास जीवन के शुरूआती दो से तीन वर्षो में होता है। ज्ञवण बाधाओं के चले बच्चे का शारीरिक एवं शैक्षणिक विकास बाधित होता है।
उन्होंने कहा कि यूएनएचएस की मदद से श्रवण बाधा के लक्षणों की पहचान हो सकती है। यह बच्चे के विकास के महत्वपूर्ण छह महीने तक में उपचार को संभव बनाता है। उन्होंने कहा कि श्रवण क्षमता को वापस लाने के लिए कॉक्लियर एम्न्लांटस जैसी उन्नत चिकित्सा पद्धति से यह संभव है।
एक प्रश्न के उतर में उन्होंने स्वीकार किया कि कॉक्लियर इम्प्लांटस तकनीक महंगी जरूर है लेकिन स्वास्थ्य से ज्यादा महंगी नहीं है। इस तकनीक में दानदाताओं की मदद से आम लोगों को सुविधा प्रदान की जा सकती है। राजस्थान में बीपीएल कार्ड धारकों को सरकारी स्तर पर भी यह सुविधा उपलब्ध हो सकती है।
इससे पूर्व ब्रेट ली आज जेके लॉन अस्पताल में बच्चों से मिले। वह सवाई मानसिंह अस्पताल में भी जायेंगे और बहरेपन से पीडित बच्चों के बारे में जानकारी लेंगे तथा कल इस संबंध में आयोजित हस्ताक्षर रैली में भी भाग लेंगे।