नई दिल्ली। सुप्रीमकोर्ट ने अयोध्या में राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद जमीन विवाद में बुधवार को फैसला सुरक्षित रख लिया।
मुस्लिम पक्ष की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव धवन के ‘मोल्डिंग ऑफ रिलीफ’ पर अपनी जिरह पूरी करने के साथ ही मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ में सुनवाई पूरी हुई और न्यायालय ने फैसला सुरक्षित रख लिया।
इससे पहले हिन्दू पक्ष की ओर से सीएस वैद्यनाथन, रंजीत कुमार और सुशील जैन ने दलीलें पेश की। उसके बाद धवन ने अपनी जिरह पूरी की। अयोध्या मामले की सुनवाई 40 दिन चली है, जो न्यायिक इतिहास में दूसरी सबसे लंबी सुनवाई है।
सुप्रीम कोर्ट में पांच जजों की पीठ अयोध्या के राम मंदिर बाबरी मस्जिद केस की सुनवाई पिछले 40 दिनों से कर रही थी। इन 40 दिनों में सर्वोच्च अदालत में सुनवाई के दौरान कई उतार-चढ़ाव देखे । सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने काफी आक्रमक तेवर अपनाते हुए कहा है कि अयोध्या केस की आज शाम तक हर हाल में सुनवाई पूरी कर लेंगे।
70 सालों से चले आ रहे विवाद पर सुनवाई के लिए आज 40वें दिन सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ जैसे ही बैठी, कई पक्षकारों ने अपनी बात कहने के लिए और अधिक समय की मांग की, जिस पर पीठ ने कहा कि आज हम सुनवाई पूरी कर के ही उठेंगे। चीफ जस्टिस ने कहा कि राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद मामले में रोजाना सुनवाई का शाम पांच बजे समापन हो जाएगा। उन्होंने कहा कि अब बहुत हो गया, इस मामले में सुनवाई आज ही पूरी होगी।
एक माह के अंदर अयोध्या केस का आ सकता है फाइनल फैसला
आज शाम को कोई बड़ी अड़चन नहीं आती है और राम जन्मभूमि बाबरी मस्जिद की सुनवाई पूरी हो जाती है तो उम्मीद की जानी चाहिए कि इस मामले का फाइनल फैसला एक माह के अंदर आ सकता है, जिसका पूरे देश की जनता को बेसब्री से इंतजार है। मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अगुवाई वाली पांच सदस्यीय संवैधानिक पीठ कर रही है। गोगोई इसी साल 17 नवंबर को रिटायर हो रहे हैं। साफ है कि उनके रिटायर होने से पहले फैसला आ जाएगा। संवैधानिक पीठ में सीजेआई के अलावा जस्टिस एसए बोबडे, जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एस अब्दुल नजीर हैं।
39 दिनों में सुनवाई के दौरान दोनों पक्षों ने दलीलें दी, कई बार तीखी बहस भी हुई
सर्वोच्च अदालत में अयोध्या केस की सुनवाई के दौरान दोनों पक्षों ने अपनी-अपनी दलीलें दी। सुनवाई के दौरान कई बार शीर्ष अदालत में ऐसी स्थिति भी बन गई कि दोनों पक्ष एक दूसरे पर हमलावर भी हो गए थे। 39 दिनों में सभी पक्षों ने सुप्रीम कोर्ट में अपने-अपने पक्ष रखे हैं। सुनवाई अयोध्या की जमीन को लेकर हो रही है। वर्ष 2010 में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अपने फैसले में 2.77 एकड़ भूमि को तीन पक्षों (सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और रामलला विराजमान) में बांटने का आदेश दिया था। इसी फैसले के खिलाफ सभी पक्ष सुप्रीम कोर्ट चले गए। आज सुनवाई पूरी हो जाती है तो अयोध्या केस के सभी पक्षों को सर्वोच्च न्यायालय के फैसले का इंतजार रहेगा।
अयोध्या विवाद में समझौते की खबर
सुप्रीमकोर्ट में अयोध्या विवाद की सुनवाई के अंतिम दिन दोनों पक्षों में समझौता होने की खबर है। सूत्रों के मुताबिक, शीर्ष अदालत द्वारा नियुक्त मध्यस्थता पैनल ने कोर्ट में रिपोर्ट दाखिल की, जिसमें कहा गया है कि हिन्दू पक्ष और मुस्लिम पक्ष में अयोध्या विवाद को लेकर समझौता हो गया है।
सूत्रों ने बताया कि समझौते की शर्तों के अनुसार विवादित ज़मीन पर राम मंदिर बने लेकिन बदले में मस्जिद के लिए जगह दिया जाए। सूत्रों के अनुसार धार्मिक स्थल अधिनियम 1991 लागू हो जिसके मुताबिक सभी धार्मिक स्थलों की 1947 की स्थिति बनाए रखने की बात कही गई है।
शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार