कोटा। राजस्थान के कोटा में मानसून सत्र में शुक्रवार और शनिवार को हुई मूसलाधार बरसात ने शहर के आवासीय क्षेत्रों में पानी की समुचित निकासी की व्यवस्था नहीं होने से सभी और पानी भर गया तथा लोगों को भारी परेशानी का सामना हुआ।
बरसात के पहले कोटा के दोनों नगर निगम के महापौर और अधिकारियों ने जल निकासी के पुख्ता प्रबंध होने के दावे किए थे। इन मात्र दो दिनों की मूसलाधार बरसात में कोटा शहर के जवाहर नगर सहित तलवंड़ी,केशवपुरा,महावीर नगर जैसे एक दर्जन से भी अधिक बड़े आवासीय क्षेत्रों की मुख्य सड़कों सहित भीतरी सड़कों को पानी से लबालब कर दिया।
जवाहर नगर सहित नदी पार के कुन्हाड़ी इलाके में सड़कों पर पानी भरने की समस्या काफी गंभीर हो गई और यह वह इलाके हैं जिनमें न केवल कोटा के प्रमुख कोचिंग संस्थानों के शैक्षणिक परिसर हैं बल्कि छात्रों के कई दर्जन हॉस्टल होने के अलावा यहां के आवासीय क्षेत्रों में भी हजारों की संख्या में प्रदेश के दूसरे हिस्सों सहित अन्य राज्यों बिहार, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, गुजरात, उत्तराखंड, झारखंड सहित दक्षिणी राज्यों से आए कई हजार छात्र निवास करते हैं और इन्हें ही कोटा के अर्थ तंत्र की रीड की हड्डी माना जाता है।
शहर के दोनों नगर निगम के अधिकारियों-जनप्रतिनिधियों के बड़े-बड़े दावों के बावजूद नए-पुराने कोटा शहर के कई आवासीय क्षेत्रों में गंदे पानी के निकास के लिए नालों की सफाई की व्यवस्था नहीं की गई जबकि स्मार्ट सिटी परियोजना में शामिल कोटा शहर में साफ-सफाई पर करोड़ों रुपए सालाना खर्च करने का दावा किया जाता है, लेकिन तेज बरसात होने के बाद आवासीय क्षेत्रों में गंदे पानी के नाले उफ़न पड़े हैं और पानी नालों की सीमाओं को लांघकर न केवल मुख्य सड़क मार्गाे बल्कि भीतरी गलियों तक में पहुंच गया। यही नहीं, कई आवासीय क्षेत्रों में नालों से सड़कों पर आया गंदा पानी घरों के भीतर तक घुस गया जिसके कारण नालों की गंदगी घरों में पहुंच गई।
शनिवार और रविवार के इन दिन ही दो दिनों में कोटा में राजस्थान शिक्षक पात्रता परीक्षा (रीट) आयोजित की गई है जिसके लिए कोटा में 94 केंद्र स्थापित किए गए थे। इस परीक्षा में शामिल होने के लिए राजस्थान सहित दिल्ली, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश आदि राज्यों से भी छात्र कोटा पहुंचे थे लेकिन मूसलाधार बरसात के कारण कोटा के कई परीक्षा केंद्रों के पास बने जल प्लावन के हालात की वजह से इन परीक्षार्थियों को अकथनीय परेशानियों का सामना करना पड़ा।
इस मूसलाधार वर्षा और सड़कों पर जल प्लावन का कहर परीक्षार्थियों पर किस कदर टूटा, इसका अनुमान इससे लगाया जा सकता है कि हजारों छात्र परीक्षा से वंचित रह गए। कोटा में बने 94 केंद्रों में शनिवार को पहले लेवल की परीक्षा देने के लिए कुल 38 हजार 650 परीक्षार्थी पंजीकृत थे, लेकिन इनमें से केवल 22 हजार 147 ही परीक्षा देने पहुंच पाए।
यानी 16 हजार 503 परीक्षार्थी अनुपस्थित रहे जबकि दूसरे लेवल की परीक्षा के लिए पंजीकृत 34 हजार 721 में से 25 हजार 702 ही परीक्षार्थी ही परीक्षा दे सके। 9019 अनुपस्थित रहे। सभी तो नहीं लेकिन कुछ परीक्षार्थी मूसलाधार वर्षा के कारण परीक्षा देने से वंचित रह गए थे।
आलनिया बांध पर चली चादर
कोटा के समीप आलनिया बांध में बरसाती पानी की भरपूर आवक होने से बांध में आज चादर चल पड़ी जिससे किसानों मे चेहरे खुशी से झूम उठे।
पूर्व संसदीय सचिव भवानीसिंह राजावत ने इस मौके पर आज आलनिया बांध पर पहुंचे किसानों को लड्डू खिलाकर मुंह मीठा करवाया। राजावत ने बताया कि आलनिया बांध से कोटा जिले में दरा-मंड़ाना इलाके के 40 गांवों को सिंचाई के लिये पानी मिलता है जिससे इस इलाके में खुशहाली आई है।
राजावत ने बताया कि आलनिया बांध मे पानी की क्षमता बढ़ाने के लिए पहले डायवर्जन चौनल का पानी आलनिया में डाला गया है व उसके बाद 1.5 करोड़ रूपए की लागत से आलनिया बांध का नहरी तंत्र ठीक करवाने का काम शुरू करवाया। केन्द्र सरकार से 11 करोड़ रूपए नहरी तंत्र की मजबूती के लिए मंजूर करवाए गए थे जिससे निर्माण कार्य प्रारम्भ करवाया गया जो अब पूरा होने जा रहा है।
इससे आलनिया बांध का नहरी तंत्र मजबूत होगा एवं आलनिया की नहरों से एक इंच भी भू उपयोग के बिना रिसाव नहीं होगा। अब तो किसान दो की जगह तीन फसलों के लिए पानी ले सकेंगे। हालांकि आलनिया डेम में सात फीट मिट्टी(सिल्ट)जमा है जिसे अबकी बार बांध खाली होते ही मिट्टी निकालने का काम होगा। इसके बाद आललनिया बांध में पानी की भराव क्षमता ओर ज्यादा बढ़ सकेगी।