नई दिल्ली। सुप्रीमकोर्ट ने पांच व्यक्तियों की हत्या के मामले के छह आरोपियों को गुजरात उच्च न्यायालय द्वारा जमानत दिए जाने के आदेश को पलटते हुए मंगलवार को कहा कि जमानत पर फैसला करते वक्त अदालत कारण बताने के अपने कर्तव्य से विमुख नहीं हो सकती।
न्यायमूर्ति डीवाई चन्द्रचूड़ और न्यायमूर्ति एमआर शाह की खंडपीठ ने कहा कि अदालतें जमानत देने या नहीं देने का कारण बताने के अपने कर्तव्य से विमुख नहीं हट सकते क्योंकि यह मुद्दा आरोपी की स्वतंत्रता और पीड़ित को उचित आपराधिक न्याय प्रशासन से जुड़ा हुआ है।
न्यायालय ने हत्या के मामले में कथित संलिप्तता के आरोपी छह लोगों को जमानत देने के उच्च न्यायालय का आदेश पलटते हुए यह टिप्पणी की। न्यायालय ने जमानत पर रिहा किए गए सभी आरोपियों को आत्मसमर्पण करने का निर्देश दिया।
खंडपीठ ने कहा कि यह सर्वमान्य सिद्धांत है कि जमानत देने या नहीं देने का फैसला लेते हुए उच्च न्यायालय या सत्र अदालतें आपराधिक दंड संहिता (सीआरपीसी) की धारा 439 के प्रावधानों के तहत अर्जी पर निर्णय करते वक्त तथ्यों के गुण-दोष की विस्तृत समीक्षा नहीं करेंगी, क्योंकि मामले पर आपराधिक सुनवाई अभी होनी बाकी है। इस मामले में पिछले साल मई में प्राथमिकी दर्ज की गई थी।
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