बेंगलूरु। हिजाब विवाद के बारे में कर्नाटक उच्च न्यायालय मंगलवार को अपना अंतिम फैसला सुना चुका है। फैसले का मुख्य बिंदु यह है कि हिजाब पहनना इस्लाम का अभिन्न अंग नहीं है। इसके अलावा, शैक्षणिक संस्थानों को वर्दी (ड्रेस कोड) स्थापित करने की शक्ति है। उच्च न्यायालय ने माना कि इस संबंध में राज्य सरकार द्वारा जारी आदेश कानूनी था।
इस 129 पेज के लंबे फैसले में न्यायालय ने कई मुद्दों पर प्रकाश डाला है। पीठ में कर्नाटक उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश ऋतुराज अवस्थी, न्यायमूर्ति कृष्णा एस. दीक्षित और न्यायमूर्ति जेएम काजी शामिल थे। न्यायालय के इस आदेश को जल्द ही न्यायाल की वेबसाइट पर सार्वजनिक किया जाएगा। फैसले के संदर्भ में 10 मुख्य बिंदु हैं।
हिजाब का इतिहास जटिल है। समय के साथ विभिन्न धार्मिक और सांस्कृतिक प्रभाव शामिल हैं। हिजाब पहनना आसान कहा जाता है। उच्च न्यायालय ने यह भी जांच की कि क्या नौकरी करते समय हिजाब पहनना इस्लाम के आवश्यक धार्मिक पालन का हिस्सा था। इसके बारे में अदालत ने डॉ. बीआर अम्बेडकर के भाषण का हवाला देते हुए बताया कि एक आवश्यक धार्मिक प्रथा क्या है।
क्या हिजाब इस्लाम का अभिन्न अंग है? क्या यह संवैधानिक अधिकार है? क्या वर्दी की बाध्यता संवैधानिक अधिकार का उल्लंघन है? अदालत ने विचार किया कि क्या कर्नाटक सरकार का जनादेश (वर्दी अनिवार्य) संविधान की इच्छाओं का अनुपालन करता है। अदालत ने धार्मिक विश्वास को कायम रखने और असहमत होने सहित ‘इसमें कई जटिल तत्व शामिल हैं’ जैसी पंक्तियों का हवाला दिया।
उच्च न्यायालय ने यह स्पष्ट कर दिया है कि पवित्र कुरान को केवल इस्लामिक कानूनों का मूल आधार माना जा सकता है। उच्च न्यायालय, जो कहता है कि मुस्लिम महिलाएं हिजाब पहनती हैं, ने स्पष्ट कर दिया है कि कुरान में हिजाब का कोई उल्लेख नहीं है। न्यायालय ने कहा कि कुरान में कहीं भी यह नहीं कहा गया है कि मुस्लिम महिलाओं को हिजाब पहनना चाहिए।
हिजाब पहनने के लिए कोई विशेष धार्मिक कारण नहीं हैं। बेशक, ड्रेसिंग के सांस्कृतिक कारण हैं। महिलाओं के दमन के इतिहास में कई विकास हुए हैं। इस्लाम का जन्म अलग नहीं था। पवित्र कुरान ने निर्दोष महिलाओं पर अत्याचार को रोकने के लिए कई उपाय सुझाए हैं। हिजाब एक रस्म है जो सामाजिक और सांस्कृतिक कारकों के कारण बढ़ी है। हाईकोर्ट ने कहा है कि यह जरूरी नहीं कि धार्मिक प्रथा हो।
याचिकाकर्ता का अनुरोध था कि संविधान के अनुच्छेद 25 (धर्म और व्यवहार की स्वतंत्रता) के प्रावधानों की समीक्षा की जाए, इस तथ्य को ध्यान में रखे बिना कि समुदाय की महिलाएं मुस्लिम समुदाय से संबंधित हैं। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए उच्च न्यायालय ने कहा कि विवेक एक बहुत ही व्यक्तिगत पहलू है। यह साबित करने के लिए कि हिजाब पहनना अंतरात्मा या धार्मिक स्वतंत्रता का मामला है, अम्बेडकर का यह कहना कि इसे धर्म के एक आवश्यक अनुष्ठान के रूप में वर्णित किया जाना चाहिए।
एक निश्चित उम्र के लिए सभी को शिक्षित करना सरकार का कर्तव्य है। इसके अलावा, सरकार के पास वर्दी की सिफारिश करने का अधिकार है। बच्चों पर अनावश्यक नियम न थोपें। हमारे देश में सभी बच्चे संवैधानिक रूप से हकदार हैं। ऐसे स्कूलों को निर्धारित करने वाली वर्दी किसी भी तरह से धार्मिक रूप से तटस्थ और सार्वभौमिक रूप से लागू होने के अधिकार का उल्लंघन नहीं है। स्कूल की वर्दी बच्चों में भाईचारा और सद्भावना की भावना को बढ़ावा देती है। सभी बच्चों को यूनिफॉर्म कोड का पालन करना होगा। शिक्षण संस्थानों द्वारा बच्चों पर लगाया गया यह प्रतिबंध संवैधानिक है। इस संबंध में सरकार का आदेश कानूनी है।
मुख्य न्यायाधीश के घर पर कड़ी सुरक्षा
कर्नाटक हाईकोर्ट ने मंगलवार को मुस्लिम छात्राओं की ओर से दायर उन सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया, जिनमें शिक्षण अवधि के दौरान शिक्षण संस्थानों में हिजाब पहनने की अनुमति देने की मांग की गई थी। इस आदेश आने के तुरंत बाद मुख्य न्यायाधीश ऋतु राज अवस्थी के घर पर सुरक्षा व्यवस्था और कड़ी कर दी गई।
न्यायालय ने फैसला सुनाते हुए कहा कि मुस्लिम महिलाओं द्वारा हिजाब पहनना इस्लाम के तहत आवश्यक धार्मिक प्रथा का हिस्सा नहीं है और विद्यालय के यूनिफॉर्म का निर्धारण केवल एक उचित प्रतिबंध है, जिस पर छात्र-छात्राएं आपत्ति नहीं कर सकते। न्यायालय की पीठ ने यह भी कहा कि राज्य सरकार के पास इस संबंध में आदेश जारी करने का अधिकार है।
उच्च न्यायालय की मुख्य न्यायाधीश ऋतु राज अवस्थी, न्यायमूर्ति कृष्णा एस दीक्षित और न्यायमूर्ति जे. एम. काजी की तीन सदस्यीय पीठ ने यह फैसला सुनाया। न्यायालय ने इस संबंध में सुनवाई के 11वें दिन 25 फरवरी को फैसला सुरक्षित रख लिया था।
फैसला आते ही न्यायमूर्ति अवस्थी के बेंगलुरु स्थित आवास पर सख्ती कर दी गई है। किसी भी दुर्भाग्यपूर्ण घटना, हिंसा या हंगामे को ध्यान में रखते हुए सुरक्षा में सख्ती की गई है। वरिष्ठ अधिवक्ता संजय हेगड़े, देवदत कामत और रवि वर्मा कुमार उन छात्रों की पैरवी कर रहे हैं, जिन्होंने स्कूल-कॉलेजों में हिजाब प्रतिबंध को चुनौती देते हुए न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था। उन्होंने संवैधानिक, धार्मिक आधार और कानूनी कारणों का हवाला देते हुए अदालत से उन्हें हिजाब पहनने की अनुमति देने की मांग की थी।
हिजाब विवाद पर कर्नाटक उच्च न्यायालय के फैसले के बाद कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने आज छात्र-छात्राओं से कक्षाओं में भाग लेने की अपील की और साथ ही चेतावनी भी दी कि अगर किसी ने शांति भंग करने की कोशिश की, तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।