नई दिल्ली। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने हिंदी को पूरे देश की भाषा बनाने के लिए इसके प्रचार-प्रसार पर जोर देते हुए कहा है कि दूसरी भारतीय भाषाओं की उपेक्षा किए बिना 2024 तक हिंदी को बड़े मुकाम तक पहुंचाने के लिए काम किया जाएगा।
शाह ने शनिवार को हिंदी दिवस के अवसर पर यहां गृह मंत्रालय की ओर से आयोजित समारोह में कहा कि देश में लगभग 122 भाषाएं तथा 19500 से अधिक बोलियां हैं जिनका समृद्ध इतिहास है। ये भाषाएं और बोलियां हमारी ताकत है किंतु देश में एक ऐसी भाषा होनी चाहिए जो सब लोग समझते हों। देश में हिंदी भाषा को प्रचारित, प्रसारित तथा लगातार संशोधित करना और उसके साहित्य को लगातार समृद्ध करना हमारा राष्ट्रीय दायित्व है।
इससे पहले उन्होंने ट्वीट कर कहा कि पूरे देश की एक भाषा होना बहुत जरूरी हैै जिससे विश्व में देश की पहचान बने। उन्होंने लिखा कि भारत विभिन्न भाषाओं का देश है और हर भाषा का अपना महत्व है परन्तु पूरे देश की एक भाषा होना अत्यंत आवश्यक है, जो विश्व में भारत की पहचान बने। आज देश को एकता की डोर में बांधने का काम अगर कोई एक भाषा कर सकती है तो वो सर्वाधिक बोले जाने वाली हिंदी भाषा ही है।
एक अन्य ट्वीट में उन्होंने कहा कि आज हिंदी दिवस के अवसर पर मैं देश के सभी नागरिकों से अपील करता हूं कि हम अपनी-अपनी मातृभाषा के प्रयोग को बढ़ाएं और साथ में हिंदी भाषा का भी प्रयोग कर देश की एक भाषा के पूज्य बापू और लौह पुरुष सरदार पटेल के स्वप्प्न को साकार करने में योगदान दें।
समारोह को संबोधित करते हुए गृहमंत्री ने कहा कि 2024 तक हिंदी एक बड़ा मुकाम हासिल करेगी और हिंदी को बढ़ाने का मतलब कभी यह नहीं है कि दूसरी भाषा की उपेक्षा हो। सभी भाषाओं को साथ रखते हुए हिंदी को सर्व-स्वीकृत भाषा बनाया जाएगा।
शाह ने कहा कि गुलामी के लम्बे दौर में देशवासियों के मन में भाषा को लेकर हीन भावना पनपती रही, उस भावना को पूरी तरह से तोड़ने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि संविधान निर्माता जब राजभाषा को आकार दे रहे थे तब कई तरह के मत-मतांतर थे लेकिन विभिन्न भाषाओं और संस्कृतियों को देखकर, समझकर तथा उस समय की स्थिति का आकलन, अवलोकन और चिंतन कर वे हिंदी को लेकर एकमत हुए और उसे राजभाषा के रूप में स्वीकार किया गया। संविधान सभा में देश के कोने-कोने का प्रतिनिधित्व था और उनका वह निर्णय आज भी एकता और अखंडता को मजबूत रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
विरोध में उठने लगे स्वर
स्टालिन ने कहा कि देश की मजबूती अनेकता में एकता है और यह भारत की सांस्कृतिक पहचान है। उन्होंने कहा कि भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार जब से सत्ता में आई है तबसे कई कारणों की वजह से वह देश की इस पहचान को नष्ट करने में लगी हुई है। उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी तमिल भाषा को बचाने के लिए हिंदी भाषा के प्रभुत्व का हमेशा से विरोध करती आई है।
इसके अलावा ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन पार्टी के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ट्वीट कर कहा कि हिंदी हर भारतीय की मातृ भाषा नहीं है। क्या आप अनेकों मातृभाषाओं की विविधता और सुंदरता की सराहना करने की कोशिश कर सकते हैं जो इस देश में है। सविधान का अनुच्छेद 29 प्रत्येक भारतीय को अलग भाषा बोलने और संस्कृति का अधिकार देता है। उन्होंने कहा कि भारत हिंदी, हिन्दू और हिंदुत्व से बहुत बड़ा है।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी कहा कि हिंदी दिवस की बधाई। हमें सब भाषाओँ और संस्कृतियों का सम्मान करना चाहिए। हमें अन्य भाषाओँ को भी सीखना चाहिए लेकिन मातृभाषा को नहीं भूलना चाहिए।
इसके अलावा पुडुचेरी के मुख्यमंत्री वी. नारायणसामी ने शाह के बयान पर आपत्ति जताते हुए कहा कि हिंदी को देश की भाषा बनाने से देश को एक साथ नहीं रखा जा सकता। भारतीय शासन के मूल मंत्र के मुताबिक सभी भाषाओं, धर्माें और संस्कृतियों को सम्मान होना चाहिए।
ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कषगम (अन्नाद्रमुक) के प्रवक्ता ने भी हिंदी भाषा के देश की एक भाषा बनाने के बयान का विरोध करते हुए कहा कि शाह ने केवल वही कहा जो उन्हें लगा लेकिन यह बयान देश की एकता को भंग कर सकता है।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कई बार तमिल भाषा के प्रति उनके लगाव का इजहार किया है और मुझे उम्मीद है कि वह अपने शब्दों के प्रति कायम है।