नई दिल्ली। प्रख्यात कवि, पत्रकार एवं हिन्दी अकादमी के उपाध्यक्ष विष्णु खरे का बुधवार को यहां एक सरकारी अस्पताल में अचानक ह्रदय गति रुकने के कारण निधन हो गया। वह 78 वर्ष के थे।
खरे को गत दिनों मस्तिष्क आघात के कारण राजधानी के जीबी पन्त अस्पताल में भर्ती कराया गया था और वह कोमा में चले गए थे। वह गहन चिकित्सा कक्ष में भर्ती थे और उनका मस्तिष्क 80 प्रतिशत आघात के कारण प्रभावित हो गया था। उनके परिवार में पत्नी के अलावा दो पुत्रियां एवं एक पुत्र हैं। उनका अंतिम संस्कार कल यहां निगम बोध घाट पर ग्यारह बजे किया जाएगा।
सुप्रसिद्ध कवि एवं संस्कृतिकर्मी अशोक वाजपेयी, मंगलेश डबराल, विष्णु नागर, विनोद भारद्वाज आदि ने खरे के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है और उन्हें बेवाक, साहसी और प्रखर लेखक बताया।
उनके निकटस्थ मित्रों ने बताया कि अस्पताल के डाॅक्टर खरे को बचाने के लिए कई दिनों से संघर्ष कर रहे थे लेकिन आज साढ़े तीन बजे अचानक हृदय गति रुक जाने के कारण उनका निधन हो गया।
नौ फरवरी 1940 को मध्य प्रदेश में जन्में खरे ने इंदौर के क्रिश्चन कॉलेज से अंग्रेजी साहित्य में एमए किया था और वह 1962-63 में दैनिक इंदौर में उप संपादक थे। फिर 1963 से 1975 तक अध्यापन कार्य से जुड़े रहे। वह दिल्ली विश्वविद्यालय के मोती लाल नेहरु कॉलेज में अंग्रेजी के प्रोफेसर थे और इसके बाद साहित्य अकादमी में उपसचिव भी रहे।
इसके बाद वह दिल्ली में नव भारत टाइम्स के सहायक सम्पादक तथा इसी अखबार के लखनऊ और जयपुर संस्करण के संपादक भी रहे। उनकी चर्चित पुस्तकों में सब की आवाज के पर्दे में, खुद अपनी आंख से तथा आलोचना की पहली किताब शामिल है।
खरे ने विश्व के प्रसिद्ध कवियों और लेखकों की रचनाओं का हिन्दी में अनुवाद किया था तथा उनकी ख्याति एक प्रमुख फिल्म समीक्षक के रुप में भी थी। उन्हें ‘नाईअ ऑफ दि ह्वाईट रोज’ सम्मान, हिन्दी अकादमी सम्मान, मध्य प्रदेश साहित्य शिखर सम्मान और रधुवीर सहाय सम्मान मिल चुका था।