कानपुर। हिंदी के प्रख्यात लेखक एवं समाजवादी विचारक गिरिराज किशोर का रविवार को यहां निधन हो गया। वह 82 वर्ष के थे। किशोर के परिवान में पत्नी के अलावा एक बेटा और दो बेटियां हैं।
उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में 8 जुलाई 1932 को जन्मे किशोर भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान कानपुर के रजिस्ट्रार पद से सेवानिवृत्त होने के बाद स्वतंत्र लेखन कर रहे थे। पद्मश्री और साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किशोर कहानीकार उपन्यासकार और नाटककार भी थे।
हिंदी के चर्चित कहानीकार एवं किशोर के सहयोगी प्रियम्बद ने बताया कि किशोर का निधन आज सुबह साढ़े नौ बजे घर पर सांस अटकने का कारण हुआ। वैसे वह ठीक थे। उनका अंतिम संस्कार सोमवार को यहां दस बजे होगा।
किशोर को ख्याति उनके पहले गिरमिटिया उपन्यास से मिली थी जो उन्होंने गांधी जी के दक्षिण अफ्रीका प्रवास पर लिखा था। ढाई घर उपन्यास पर उन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला था। परिशिष्ट उनका चर्चित उपन्यास था। प्रजा ही रहने दो उनका चर्चित नाटक था। वह कानपुर विश्वविद्यालय में उप कुलसचिव भी रह चुके थे। उन्हें अनेक पुरस्कार सम्मान मिले थे।