जयपुर। अनुष्का शर्मा के प्रोडक्शन द्वारा निर्मित ‘पाताल लोक’ नामक वेबसीरीज को पूर्णतः हिन्दू विरोधी बताते हुए इस पर प्रतिबंध की मांग जोर पकडने लगी है।
विश्व हिन्दू परिषद के बाद हिन्दू जनजागृति समिति ने उक्त वैब सीरीज के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। समिति का कहना है कि ‘पाताल लोक’ में अत्यंत आपत्तिजनक दृश्य दिखाए गए हैं। इसमें एक कुतिया का नाम ‘सावित्री’ रखा गया है। मंदिर में पुजारी मांस पकाकर खाते हुए दिखाए गए हैं। भगवा वस्त्र परिधान किए हुए लोग जय श्रीराम कहते हुए गुंडागर्दी करते हुए दिखाए गए हैं। साधु-संतों को असभ्य अपशब्द कहते हुए दिखाया गया है। एक प्रसंग में एक व्यक्ति को जनेऊ पहनकर बलात्कार करते हुए दिखाया गया है।
एक मुसलमान महिला हिन्दू महिला को पानी देती है, तब वह हिन्दू महिला पानी पीने से मना कर देती है, ऐसे अनेक समाज में अनबन उत्पन्न करने वाले तथा हिन्दू धर्म के संबंध में द्वेष फैलानेवाले दृश्य दिखाए गए हैं। यह अत्यंत निंदनीय है तथा हिन्दू जनजागृति समिति इसका तीव्र शब्दों में निंदा करती है तथा समिति ने वेबसीरीज ‘पाताल लोक’ पर तत्काल प्रतिबंध लगाने की मांग की है।
आजकल युवापीढी को बडी मात्रा में आकर्षित करने वाले एमेजोन, नेटफ्लिक्स, हॉटस्टार, अल्ट बालाजी आदि अनेक ऑनलाइन मीडिया के माध्यम से ‘पाताल लोक’, ‘लैला’, ‘सेक्रेड गेम्स’, ‘गंदी बात’, ‘कोड एम’ और ‘गेम ऑफ थ्रोन्स’ जैसी आपत्तिजनक वेबसीरीज दिखाई जा रही हैं। इन वेबसीरीज पर शासन, प्रशासन अथवा सेंसर बोर्ड आदि में से किसी का भी बंधन अथवा नियंत्रण नहीं है, परिणामस्वरूप इन माध्यमों से देश विरोधी, सेना विरोधी, हिन्दु विरोधी, अश्लील, हिंसक, आपत्तिजनक और धार्मिक अनबन उत्पन्न करनेवाले दृश्य-संवाद बडी मात्रा में प्रसारित किए जा रहे हैं।
यह अत्यंत गंभीर है तथा देश की एकता और सामाजिक शांति के लिए संकटदायी है। इसलिए इन सभी वेबसीरीज पर नियंत्रण करने के लिए शासन सेंसर बोर्ड जैसी व्यवस्था बनाए तब तक इन सभी वेबसीरीज पर तत्काल प्रतिबंध लगाया जाए।
इस मांग को आज ट्वीटर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर बडी मात्रा में समर्थन मिला है। आज दिन भर में #BoycottPaatalLok और #CensorWebSeries यह हैशटैग पहले दस में ट्रेंड कर रहा था। देशभर से इस संबंध में 63 हजार से अधिक लोगों का उपरोक्तानुसार ट्वीट देखने को मिला।
उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार इसमें से 3000 करोड़ रुपयों का कारोबार होता है, परंतु इतनी बडी मात्रा में दर्शक संख्या होते हुए भी जिस प्रकार चलचित्र के लिए केंद्रीय चलचित्र परिनिरीक्षण मंडल (CBFC) है, वैसा इस पर कोई नियंत्रण नहीं है। इसलिए हम यह मांग भी करते हैं कि, केंद्र शासन इस पर नियंत्रण रखने के लिए कठोर कानून बनाए।