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Hindu Muslim became an example of humanity amidst the flames of Delhi violence - Sabguru News
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दिल्ली हिंसा की लपटों के बीच मानवता की मिसाल बने हिंदू-मुस्लिम

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दिल्ली हिंसा की लपटों के बीच मानवता की मिसाल बने हिंदू-मुस्लिम
Hindu-Muslim became an example of humanity amidst the flames of Delhi violence
Hindu-Muslim became an example of humanity amidst the flames of Delhi violence

नई दिल्ली। दिल्ली हिंसा के दौरान दर्जनों स्थानों पर हिंदू मुस्लिम एकता की मिसाल भी कायम करके जता दिया कि हम साथ रहेंगे भड़काऊ बयान पर एक दूसरे के दुश्मन नहीं बनेंगे। जिस समय नॉर्थ-ईस्ट दिल्ली में हर तरफ हिंसा की लपटें थीं, कुछ लोग धर्म के नाम पर खून बहा रहे थे वहीं कुछ लोग मानवता की मिसाल भी कायम कर रहे थे। नॉर्थ ईस्ट दिल्ली में एक नहीं कई ऐसे मामले हैं जहां पर हिंदुओं ने मुस्लिमों की जान बचाई तो मुस्लिमों ने हिंदू परिवार को भी बचाने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी।

हिंसा और नफरत की दिशा में हुआ दिल्ली का यह बदलाव न तो राजधानी के लिए अच्छा है न ही देश के लिए। इस देश में हिंदू-मुस्लिम-सिख-ईसाई आपस में प्यार और मोहब्बत के साथ रहते हैं। दंगाइयों का कोई मजहब नहीं होता वह उस वक्त नहीं देखती कौन हिंदू है कौन मुसलमान है। दिल्ली में हुई हिंसा के दौरान हिंदू मुस्लिम एकता ने जिस प्रकार से मिसाल कायम की है यह आप उन दंगाइयों और नेताओं को भी समझना होगा कि इन दोनों धर्मों में फूट डालना अब आसान नहीं होगा।

मुस्लिम को बचाने के लिए फरिश्ता बनकर आया हिंदू परिवार

दिल्ली में हिंसा के दौरान एक हिंदू परिवार मुस्लिम को बचाने के लिए अपनी जान की भी बाजी लगा दी थी। शिव विहार में एक हिंदू परिवार ने मुस्लिम पड़ोसी सलीम को घर में छिपाकर उनकी जान बचाई। उपद्रवियों ने सलीम के भाई अनवर की गोली मारकर हत्या कर दी और फिर उन्हें आग के हवाले कर दिया। उपद्रवियों ने बेजुबान बकरियों को भी अपना दुश्मन माना और उन्हें भी जिंदा जला डाला। सलीम ने बताया कि वह उस हिंदू परिवार का नाम नहीं बता सकते हैं, क्योंकि उनकी सुरक्षा को खतरा होगा, लेकिन उस दिन वे लोग नहीं होते तो उपद्रवी मेरी भी जान ले लेते। उन्होंने मुझे अपने घर में तीसरी मंजिल पर छिपाया।

यदि उपद्रवी तलाशी लें तो मुझे पहचान ना लें इसलिए मेरे सिर पर टीका लगा दिया और मुझे एक भगवा कुर्ता पहना दिया। उन्होंने मेरी पत्नी को भी साड़ी और चूड़ियां पहना दीं। सलीम ने आगे बताया, मेरा घर शिव विहार के रामलीला ग्राउंड के पास है। उस दिन काफी संख्या में दंगाई पहुंच गए, नारे लगाते हुए मेरी कार में आग लगा दी। फिर भाई के घर के पास पहुंच गए। तभी पास में रहने वाले एक हिंदू दोस्त मेरे घर फरिश्ता बनकर आए और पूरे परिवार को खुद के घर ले गए। हमारा हुलिया बदलने के बाद दोस्त ने चिल्लाने और बोलने से मना करते हुए कहा कि शांत रहना, नहीं तो ये दंगाई पूरे परिवार को मार देंगे। इस प्रकार सलीम की जान बच पाई है।

दंगाइयों से हिंदू को बचाने के लिए मुस्लिम परिवार एक साथ खड़े हो गए

दूसरी ओर जब नॉर्थ-ईस्ट दिल्ली हिंसा की आग में जल रही थी और लोग डर कर अपने-अपने इलाकों को छोड़कर भाग रहे थे, तब न्यू मुस्तफाबाद में मुसलमानों ने मिसाल पेश की, हिंसा के दौरान मुस्तफाबाद में रहने वाले राम सेवक शर्मा अपने घर में बिना किसी डर के जमे रहे। उन्होंने मुस्लिम बहुल इलाके में रहने के बावजूद खुद को असुरक्षित महसूस नहीं किया। लिहाजा उनके दिमाग में मुस्लिम बहुल न्यू मुस्तफाबाद स्थित अपने घर को छोड़ने का ख्याल तक नहीं आया। राम सेवक शर्मा का परिवार अपनी बस्ती में अकेला ब्राह्मण परिवार है।

नॉर्थ-ईस्ट दिल्ली में हिंसा के दौरान लोग एक-दूसरे के खून के प्यासे थे, तब भी राम सेवक शर्मा मुस्लिमों के बीच खुद को सुरक्षित महसूस कर रहे थे। इस दौरान मुस्लिम पड़ोसियों ने भी राम सेवक शर्मा और उनके परिवार की पूरी हिफाजत की। राम सेवक शर्मा का कहना है कि हमारा परिवार पिछले 35 साल से मुस्लिमों के साथ मिलजुल कर रह रहा है और हम एक-दूसरे का दुख-सुख बांटते हैं। नॉर्थ-ईस्ट दिल्ली में हिंसा के दौरान भी हमने अपने पड़ोस का माहौल बिगड़ने नहीं दिया, हमारे पड़ोस का माहौल आज भी अच्छा है।

शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार