Warning: Constant WP_MEMORY_LIMIT already defined in /www/wwwroot/sabguru/sabguru.com/18-22/wp-config.php on line 46
बेरहमी काल चक्र शून्य की ओर निकला
होम Latest news बेरहमी काल चक्र शून्य की ओर निकला

बेरहमी काल चक्र शून्य की ओर निकला

0
बेरहमी काल चक्र शून्य की ओर निकला

सबगुरु न्यूज।  काल चक्र, रहम और बेरहम शब्दों से कोई नाता नहीं रखता। सदियों से आज तक उसकी वही कहानी है। विश्व की हर सभ्यता और संस्कृति में उसने गहरे घाव छोड़े हैं तो समृद्धि की उस छाप को भी छोड़ा है जो आज भी काल का अमृत या जहर बन मानव को सभ्यता और संस्कृति की वसीयत के रूप में मिला है।

किसी भी काल के इतिहास को हम जब वर्तमान के चश्मे से देखते हैं तो हम न्याय संगत व्यवहार नहीं कर पाते हैं और इतिहास के पन्नों की नीतियों को लांछित करने में कसर नहीं छोड़ते। उस काल का हर विचारक, इतिहासकार, कवि, राजा, शासन, प्रजा तथा उनकी उपलब्धि व विकास को हम गौण समझ कर कोसते रहते हैं। वर्तमान में उनके अस्तित्व को मिटाने के लिए सारा समय लगा देते हैं, फिर उसी इतिहास की धूल, मिट्टी और पत्थर को नए सांचे में ढाल कर एक नया खिलौना बना देते हैं। उसे भारी ढंग से दुनिया के मंच पर एक बेहतरीन उत्पाद बताकर प्रस्तुत कर देते हैं और अपने चित्र से इतिहास के पन्नों पर बने चित्र पर ढंक देते हैं।

काल की लम्बाई ओर अपनी आयु की ओछाई की सत्यता को जानकर वर्तमान की कुछ सभ्यता और संस्कृति अपने इतिहास का सहारा लेकर आगे बढ़ती है और नए युग की नई खोज को दुनिया के सामने रखती हैं तो सहज ही सभी उसे अपनाने लग जाते है। सभी सभ्यता और संस्कृति उनका अनुसरण कर खुले दिल से या दबे मन से करने लग जाती है।

विश्व स्तर पर यह स्थितियां देखकर महत्वाकांक्षी इस होड़ में अपना अस्तित्व दिखाने के लिए अपनी खोज को दुनिया के सामने प्रकट कर अपना उत्पाद प्रतुत करता है और बेरहमी से इसे लागू कर सर्वत्र त्राहि त्राहि करवा कर उसे महाभारत के महायुद्ध में धकेल देता है। काल का चक्र श्रीकृष्ण के सुदर्शन चक्र की तरह सभी को रक्त रंजित कर सारी व्यवस्था को घायल कर देता है।

दुनिया की हर सभ्यता और संस्कृति की खोज जब दुनिया के मैदान में उतर जाती हैं तो वहां सब को अपनी हैसियत का भान हो जाता है और फिर अपने गुणों के अनुसार वे समूह बना एक दूसरे के गले में माला डाल देते हैं। सर्वत्र एक दूसरे के मददगार बन महाविनाश के नाम पर अपनी-अपनी खोज के उत्पाद की मंडी लगा देते हैं। अदने से व्यक्ति पर अपना प्रभाव दिखा दुनिया को दहला देने वाली घटना को अंजाम देते हैं और अपने को महाबली दिखाते हैं।

संत जन कहते हैं कि हे मानव इस दुनिया में जब तक गंदी और छोटी सोच को खत्म करने का अस्त्र दुनिया में नहीं बनेगा तब तक भले ही आकाश के चांद तारे तथा ग्रहों में घूमकर आ जाए तो कोई विशेष बात नहीं होगी। विश्व स्तर पर शांति व कल्याण के आयोजन केवल दूसरी दुनिया के लोगों को जिन्हे ऐलियन कहा जाता है उनकी खोज जैसे ही साबित होते रहेंगे और काल चक्र अपनी गति से महाशक्तिशाली व दुर्बल कोई भी हो इन सब को बिना हथियारों से विनाश कर देगा और सबको शून्य में विलीन कर देगा।

इसलिए हे मानव तू अपनी सोच को सकारात्मक धारा में बहा और उस जहां की ओर बढ़ जहां तेरी कद काठी तेरी हर भूमिकाओं को निभाने के लिए भूखी प्यासी ईज्जत लुटाए लाचार होकर बैठी है और तेरे इंतजार में अपने प्राणों को त्याग रही है और तू नकारात्मक मूल्यों को ग्रहण कर समर्थ होने के बाद भी अपने आप को हीन दीन मलिन बन खुद ही रहम की भीख अनावश्यक मांग रहा है और अपने कर्तव्यों से भाग रहा। अपनी भूमिका के दायित्वों को निभा और जहां विश्व का हर मानव तेरे रवैये से लाभान्वित हो कर चंद राहत ले सके।