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छल कपट के लोग और उनका अंधा क़ानून
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छल कपट के लोग और उनका अंधा क़ानून

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छल कपट के लोग और उनका अंधा क़ानून

सबगुरु न्यूज। छल, कपट, झूठ, फरेब की दुनिया में कानून अंधा बनकर धूम मचाता है और सत्य को कुचल कर बेरहमी से उसकी हत्या करता है। इस फरेबी दुनिया का राजा और उसके मंत्री, सरकारीे नुमाइंदे सब कुछ अपने लोभ लालच के लिए एक ऐसी ही व्यवस्था को अंजाम देते हैं जिसमे गुंडे, बदमाश, धोखेबाज लाखों की हेराफेरी करने वाले, व्यवस्था के नाम पर सही अभिलेखों को खुर्द बुर्द कर एक ऐसे नए अभिलेखों का निर्माण कर देते हैं और “झूठ” को “सत्य” का लिबास पहना कर सत्य को जीते जी मार देते हैं।

सत्य रोता है लडखडाता है और गिरता ओर असत्य उसे ठेंगा दिखा कर आगे बढ़ जाता है। उपलब्ध साक्ष्यो के आधार पर “नयाय ” भी अपना काम कर “असत्य “पर मोहर लगा देता है और असत्य विधिवत् ढंग मे अपना जामा पहन कर फरेबी दुनिया का फरेबी राजा मंत्री ओर फरेबी सरकारी नुमाइंदा होकर राज करता है और सारी दुनिया को अपनी फरेबी मायाजाल में डाल कर सारे कानून अंधे बना देता है। सत्य बरसों तक सत्य के अभिलेखों को सही साबित करने के लिए भटकता रहता है।

सदियों से आज तक ऐसे हजारों किस्से बन गए चाहे वह राजतंत्र रहा फिर प्रजातंत्र। हर बार इन झूठे और कपट करने वाले चन्द व्यक्ति अपना एक शक्तिशाली गिरोह बनाकर लूट खसोट का व्यापार शुरू कर देते हैं और उनका व्यापार इतना फलता फूलता है कि वे बिना कोई आधार के उन लोगों को पद प्रतिष्ठा सत्ता संपति भूमि भवन कृषि और अनगिनत विषयों का अधिकारी बना देते हैं, जिनका अधिकार होता है वे अपने अधिकारों को सिद्ध करने के लिए भटकता रहता है। झूठे प्रमाण अंधे क़ानून बनकर धूम मचाते हैं और सत्य को जानते हुए भी न्याय करने वाला कुछ भी नहीं कर पाता है और सर्वत्र अंधे बने कानून राज करते हैं।

संत जन कहते हैं कि हे मानव तू चिंता मत कर झूठे और कपटी फरेबी लोग, उनका शक्तिशाली गिरोह लगातार कुछ लोभ लालच के टुकड़े लोभियों के सामने पटक कर अपने दल को बलवान बना लेते हैं और हर व्यवस्था का मुखिया अपने ही इन लोभी व्यक्तियों को बना कर अपना हर काम सफलता से अपने ही हक में निकाल लेते हैं और आम-जन को सरे आम लूट कर उन्हें आग में ढकेल देते हैं।

लेकिन एक दिन यह प्रकृति अपने क़ानून का न्याय करेंगी तब बिना साक्ष्य गवाह के इन झूठे और कपट करने वाले चन्द व्यक्ति के गिरोह को चाहे वे किसी भी व्यवस्था में क्यों ना बेठा हो एक बार में ही ऐसा दंड देंगी की उसकी सात पीढ़ियों तक बर्बादी ज़ारी रहेगी। आम जन को राहत देती हुई प्रकृति सदा बहार अपनी ही व्यवस्था को जिन्दा रख कर अपना अस्तित्व बनाए रखेगी।

इसलिए हे मानव तू घबरा मत तेरा त्याग और बलिदान और तेरे साथ हुईं ज्यादती का फैसला कुदरत खुद करेगी, राहत की वर्षा कर तेरे अपमान को वह अपना अपमान समझ कर सबको बिखेर देगी। तू धैर्य ओर साहस रख तेरे गमों की शाम ढलने वाली है।

सौजन्य : भंवरलाल