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hindu mythology stories about blind faith by joganiya dham pushkar-कुत्ते रोते रहे और बिल्लियां रास्ता काटती रहीं - Sabguru News
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कुत्ते रोते रहे और बिल्लियां रास्ता काटती रहीं

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कुत्ते रोते रहे और बिल्लियां रास्ता काटती रहीं
hindu mythology stories about blind faith by joganiya dham pushkar
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सबगुरु न्यूज। रात भर कुत्ते रोते रहे जैसे इन्हें दिख रहा है कि कोई काली शक्ति का काला बादशाह यमराज बनकर किसी को सदा के लिए मृत्यु लोक के लिए ले जाने के लिए आ रहा है।

जब कोई किसी कार्य के लिए जब जब भी घर से बाहर जाने लगे और हर बार कुत्ते फड़फड़ाने लगे तो ऐसा लग रहा था कि कार्य की असफलता की पूर्व घोषणा कर कर दी है।

भावी अनिष्ट की आशंका का यह अंधविश्वास वाला नजरिया आज भी अपनी धाक जमाए हुए है चाहे विज्ञान ने कितनी भी उन्नति कर ली हो। मानव आखिर मानव होता है भय की मनोवृति उसे जन्मजात मिलती है।

किसी कार्य के लिए रवाना होते ही सामने की छींक होना या बिल्ली द्वारा रास्ता काटना अथवा ख़ाली बरतन लेकर किसी का सामने मिल जाना, मानो ऐसा लगता है कि अब कार्य में सफलता नहीं मिलेगी और कोई ना कोई विध्न आएगा जैसे विचार आज भी मानव के दिलो दिमाग में किसी ना किसी रूप में घर किए बैठे रहते हैं भले ही इन सब बातों से कुछ भी नहीं हो। परम्परावादी समाज में आज भी यह शकुन शास्त्र की बातें घर किए बैठी रहतीं हैं चाहे बाहरी मन से कोई स्वीकार नहीं कर रहा हो।

शकुन शास्त्र भी की दुनिया भी बडी निराली होती है। कार्य की सिद्धी के लिए निकला व्यक्ति भावी लाभ की आशा में कुछ घटनाक्रम देख कर अति उत्साहित हो जाता है और कुछ घटनाक्रम देख कर भावी हानि की आशंका मे भयभीत हो जाता है। इन घटनाक्रमों में व्यक्ति वस्तु, पशु, पक्षी, शाक सब्जी से लेकर विवाह और शवयात्रा के दृश्य तक सम्मिलित है।

कौवे का सिर पर बैठ जाना लगता कि अब कोई मृत्यु तुल्य कष्ट आने वाला है। घर में अचानक मकड़ी के जाले लग जाना ऐसा लगता है कि चारों ओर से कोई शत्रु घेर रहा है। पुरुष की बायीं और महिलाओं की बांईं आंख का फडफडाना ऐसा लगता है कि भारी अशुभ होने वाला है। आदि ऐसी कई ऐसी ढेरो बातें हैं जो शुकून शास्त्र की विषयवस्तु बन कर मानव को भावी अनिष्ट की आशंका का डर बनाएं बैठी रहती हैं।

शकुन शास्त्र के इस खेल को देख मानव भी स्वयं शगुन लेने लग गया और किसी शुभ कार्य के लिए निकलने के पूर्व घर से गुड शक्कर दही खाकर निकलने लगा और घर की गृहिणी जल का लौटा लेकर उसके जाने के समय सामने आकर शगुन लेने लग गई। फिर भी जूते पहनते हुए तथा घर से निकलते समय छीक आ गई तो व्यक्ति पांच सात मिनट रूक जाता है और जूते खोल कर बैठ जाता है।

बारात निकलते समय दूल्हे के आगे के रास्ते पर राई नमक फेंकना। बच्चे के काला टीका लगाना। हरी मिर्च और नींबू दुकानों में बाहर लगवाना आदि सैकड़ों टोटके शगुन लेने के लिए आज भी जमीनी हकीकत में भावी अनिष्टों के भय को टालने के लिए किए जाते हैं।

विज्ञान की भाषा में यह सब अंधविश्वास ही कहलाते हैं और मानव के आत्म विश्वास को कमजोर बनाते हैं। भले ही शकुन शास्त्र में ये मान्यताऐ सिरमौर बनी हुई है।

संत जन कहते हैं कि हे मानव, चाहे कुत्ते रात भर रोते रहें और दिन भर चाहे फडफडाते रहे या चाहे बिल्लियां रास्ते काटती रहे लेकिन साहसी व्यक्ति ही सदा विजय का हकदार होता है। जहां किसी दुश्मन ने आक्रमण कर दिया हो या रोग से कोई मर रहा हो या पानी में कोई डूब रहा हो या पूजा उपासना करते समय मंदिर में आग लग गई हो तो कोई भी काल चौघडिये और शकून शास्त्र को नहीं देखता है और स्वयं अपने बचने व बचाने में लग जाता है।

इसलिए हे मानव तू अपने आत्म बल को मजबूत बनाए रख साथ ही अपने कर्म को बखूबी से अंजाम दे, हार जीत तो भविष्य के गर्भ में छिपी रहती है, ऊपर बैठा बाज़ीगर क्या खेल दिखाएगा यह आज तक कोई भी नहीं जान सका बस जिसका अनुमान सही निकल गया वह अपने आप को त्रिकालदर्शी समझ बैठा।

इसलिए हे मानव तू शरीर में धड़कने वाली आत्मा जो प्राण वायु रुपी ऊर्जा है, जो स्वयं भगवान बनकर तेरे शरीर के अस्तित्व को बनाए रखे हुए हैं। तू उसे प्रणाम कर तथा उसके घर को आत्म विश्वास से भर दे, अन्यथा सारे शास्त्र विज्ञान ओर आस्था और श्रद्धा के ठिकाने तो यही रह जाएंगे और आत्म विश्वास के अभाव में तू मुकाबला होने से पहले ही हार जाएगा।

सौजन्य : ज्योतिषाचार्य भंवरलाल, जोगणियाधाम पुष्कर