सबगुरु न्यूज। दाम्पत्य जीवन को केवल ग्रहों की चाल नहीं समझनी चाहिए। ग्रह नक्षत्रों के योग से ज्यादा प्रबल होता है जीवन में व्यवहार का तरीका। अपने व्यवहारों का दोषी ग्रह नक्षत्रों को नहीं ठहराना चाहिए ना ही ग्रह नक्षत्र बनाने व बिगाड़ने के संदेश देते हैं। आकाश के ग्रह नक्षत्र तो केवल फल की सूचना देते हैं।
धर्म ग्रंथों में शिव पार्वती जी के आदर्श दाम्पत्य जीवन को बताते हुए कहते हैं कि जब तक दाम्पत्य जीवन के व्यवहार में समानता नहीं रखी जाएगी और संतुलित व्यवस्था नहीं बनाए रखेंगे तो विवाह का कुंडली मिलान एक व्यर्थ ही सिद्ध होगा।
दिल और दिमाग़ से रिश्ते संतुलित बनाए रखें तथा लालच व अहंकार को त्याग दें। बिना कुंडली मिलाए ही दाम्पत्य जीवन सुखद और मजबूत बना रहेगा।
क्रोध रूपी मंगल और बाधा उत्पन्न करने वाले राहू तथा दुख उत्पन्न करने वाले शनि ग्रह जैसे विचारों को दिल से निकाल दें तो वृहस्पतिदेव प्रसन्न हो जाएंगे। शुक्र ग्रह शान शौकत से भर देगा। मन रूपी चंद्रमा को नियंत्रित कर सूर्य के मान प्रतिष्ठा को बढाएं और बुराई उत्पन्न करने वाली केतु रूपी हरकतों को छोडे तो वंश की वृद्धि हो जाएगी।
चन्द्रमा के यश और आयु की तरह करवों के जल से सींचती भावनाएं सुखी और समृद्ध दाम्पत्य जीवन बना देंगी।
सौजन्य : ज्योतिषाचार्य भंवरलाल, जोगणियाधाम पुष्कर